'कश्मीर की आजादी' के नाम पर आतंक फैलाने के लिए फंड जुटाने वाले यासीन मलिक को मृत्युदंड या उम्रकैद?

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया. अदालत के सूत्रों ने यह जानकारी दी. मलिक ने अवैध गतिविध (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 25, 2022, 04:21 PM IST
  • न्यायमित्र ने किया न्यूनतम सजा का अनुरोध
  • 19 मई को मलिक को करार दिया था दोषी
'कश्मीर की आजादी' के नाम पर आतंक फैलाने के लिए फंड जुटाने वाले यासीन मलिक को मृत्युदंड या उम्रकैद?

नई दिल्लीः राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने बुधवार को आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में दोषी कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मृत्युदंड दिए जाने का अनुरोध किया. अदालत के सूत्रों ने यह जानकारी दी. मलिक ने अवैध गतिविध (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत लगाए गए आरोपों समेत उस पर लगे सभी आरोपों को स्वीकार कर लिया था. 

यासीन मलिक ने कश्मीर की आजादी के नाम पर आतंकी गतिविधियों के लिए दुनियाभर से फंड जुटाया था. 

न्यायमित्र ने किया न्यूनतम सजा का अनुरोध
एजेंसी ने विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह की अदालत के समक्ष यह अभिवेदन दिया, जबकि मलिक की सहायता के लिए अदालत की तरफ से नियुक्त न्याय मित्र ने उसे इस मामले में न्यूनतम सजा यानी आजीवन कारावास दिए जाने का अनुरोध किया. इस बीच, मलिक ने न्यायाधीश से कहा कि वह अपनी सजा का फैसला अदालत पर छोड़ रहा है. 

19 मई को मलिक को करार दिया था दोषी
अदालत ने दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसे दिन में बाद में सुनाए जाने की संभावना है. अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था. 

यासीन मलिक ने आरोपों का नहीं किया था विरोध
उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे. मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता. 

इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं. 

इन पर भी तय हुआ था आरोप
अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे. 

लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिन्हें मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है.

यासीन मलिक पर आतंकी घटनाओं से जुड़ने और कश्मीर घाटी का माहौल खराब करने की साजिश का आरोप था. यह मामला 2017 का है. इस केस में यासीन मलिक के पास वकील नहीं था इसलिए उसे कोर्ट की तरफ से न्याय मित्र नियुक्त किया गया था.  

बता दें कि यासीन मलिक पर 1989 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण में भूमिका और 1990 में भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या का भी केस था.

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