Zorawar Light Tanks Features: भारतीय सेना को मिलने वाला जोरावर लाइट टैंक अपने अगले अहम कदम के लिए तैयार है. यह टैंक राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में फायरिंग ट्रायल्स के लिए तैयार किया जा चुका है. यहां पर इसकी 105 मिमी की मुख्य तोप के प्रदर्शन को परखा जाएगा. अप्रैल के अंत में इसका परीक्षण हो सकता है. इसके अलावा, इसकी सटीकता और गर्मी के मौसम में इसके संचालन को भी देखा जाएगा. ये सब होने के बाद भारतीय सेना जून 2025 से अपने फायरपावर परीक्षण शुरू करेगी.
2027 में मिल सकती है पहली खेप
जोरावर टैंक का विकास मार्च 2022 में सरकार की मंजूरी के बाद शुरू हुआ था. DRDO और L&T ने 19 महीनों के भीतर इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लिया. टैंक का निर्माण L&T की हजीरा (गुजरात) फैसिलिटी में हुआ. इसमें MSMEs का भी योगदान रहा. पहले चरण में भारतीय सेना ने 59 टैंकों का ऑर्डर दिया था. उम्मीद लगाई जा रही है कि टैंकों की पहली खेप 2027 में मिल जाएगी. सेना को कुल 354 टैंकों की आवश्यकता है.
टैंकों का नाम 'जोरावर' क्यों है?
जोरावर लाइट टैंक का नाम 19वीं सदी के प्रसिद्ध सैन्य कमांडर 'जनरल जोरावर सिंह' के नाम पर रखा गया है. उन्होंने लद्दाख और तिब्बत में अपने सैन्य अभियानों में बहादुरी दिखाई थी. उन्हें सम्मान देने के लिए ही इन टैंकों का नाम 'जोरावर' रखा गया है.
इसका कम वजन ही सबसे बड़ी USP
इस टैंक का वजन लगभग 25 टन के आसपास है, इससे ये हल्का रहता है और स्पीड अच्छी रहती है. यह टैंक खासकर उन इलाकों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां टी-72, टी-90 और अर्जुन टैंक भारी होने के चलते प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पाते.
LAC पर किए जा सकते हैं तैनात
ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि भारत इन जोरावर लाइट टैंकों को भारत-चीन सीमा (LAC) पर तैनात कर सकता है. 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन के बीच हुए सैन्य टकराव ने हल्के टैंकों की आवश्यकता को दर्शाया था. लिहाजा, ये टैंक चीन से मुकाबला करने में भारत को ताकत देंगे.
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