संगरुर: यहां के चांगलीवागा गांव के रहने वाले 37 साल के दलित शख्स को जातिवादी गुंडों के अमानवीय अत्याचार सहन करना पड़ा. पहले तो उसे बांधकर उसकी जमकर पिटाई की गई, जिसके बाद पानी मांगने पर उसे पेशाब पिलाया गया. यह घटना दो दिन पहले की है. इस आदमी ने शनिवार को दम तोड़ दिया.
अस्पताल में पैर काटना पड़ा
इस दलित शख्स की इतनी बुरी तरह पिटाई की गई थी कि डॉक्टरों को उसका पैर काटना पड़ गया था. पीड़ित का इलाज स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (PGIMS) में चल रहा था. संगरुर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस घटना की पुष्टि की है. पुलिस ने ही इलाज के लिए इस शख्स को अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां पीड़ित ने शनिवार को दम तोड़ दिया.
ये है पूरी घटना
चांगलीवाला गांव के रहने वाले 37 वर्षीय दलित व्यक्ति का झगड़ा 21 अक्टूबर को रिंकू नाम के एक आदमी और उसके कुछ साथियों से हो गया था. लेकिन ऐन मौके पर गांव वालों ने हस्तक्षेप किया और मामला शांत करा दिया. लेकिन गुंडे अपने मन में रंजिश पाले हुए थे. उन्होंने पीड़ित को धोखे से बुलाया और उसे खंभे से बांधकर तब तक पीटा जब तक वह मरणासन्न नहीं हो गया. यही नहीं अमानवीय अत्याचार करते हुए उसे पेशाब पीने पर भी मजबूर किया गया.
अनुसूचित जाति आयोग ने लिया संज्ञान
इस मामले में पंजाब के अनुसूचित जाति आयोग ने खुद से संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट मंगवाई है. पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनपर अपहरण, हत्या, बंदी बनाने और अनुसूचित जाति अत्याचारा निवारण कानून के अंतर्गत लेहरा पुलिस थाने में मामला दर्ज किया है.
दलितों के खिलाफ भयावह जुल्म
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में दलितों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में किसी न किसी दलित के साथ आपराधिक घटना घटती है. दलितों पर सबसे ज्यादा जुल्म उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में होता है.
साल 2016 में मध्य प्रदेश में दलितों पर अत्याचार की घटनाएं 12.1 .प्रतिशत रहीं, जबकि गुजरात में दलित उत्पीड़न की घटनाएं 32.5 .प्रतिशत रहीं, वहीं शीर्ष पर उत्तर प्रदेश रहा जहां पर सबसे ज्यादा दलितों का उत्पीड़न किया गया. इस दौरान बिहार में दलित उत्पीड़न के 5,701 मामले दर्ज किए गए.