नई दिल्ली: पुलिस-वकील के बीच विवाद का हाई-वोल्टेज ड्रामा इस रूप में आ गया है कि प्रशासन ने अपनी ड्यूटी करने तक से इंकार कर दिया है. इसका असर बड़े-बड़े फैसले लेने के बाद निश्चिंत रहने वाले जज साहब और दलीलें देने वाले वकील पर खूब होगा. दिल्ली पुलिस ने अदालतों में न्यायधीशों की सुरक्षा में लगाई जा रही ड्यूटी को करने से मना कर दिया है.
कोर्ट के फैसले से पुलिस को झटका
Delhi High Court says its November 3 order directing that no coercive action would be taken against any lawyers on the basis of two FIRs lodged with regard to the November 2 incident, was meant for that incident only.
— ANI (@ANI) November 6, 2019
2 नवंबर से पुलिस और वकीलों की बीच छिड़ा विवाद गहराता जा रहा है. दिल्ली हाई कोर्ट ने वकीलों के खिलाफ कार्रवाई पर अपने रुख को न बदलते हुए दिल्ली पुलिस को झटका दिया है. कोर्ट ने साफ कहा कि वकीलों के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की दूसरी अर्जी भी खारिज कर दी, जिसमें साकेत कोर्ट वाली घटना पर एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी भी मांगी गई थी.
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अदालत की सुरक्षा भगवान भरोसे
मंगलवार को दिल्ली के इंडिया गेट पर प्रदर्शन पर उतरे पुलिसकर्मियों ने अदालतों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने से हाय-तौबा कर लिया. पुलिस ने कहा कि वे अब अदालत की हिफाजत में लगे पुलिसकर्मियों को वापस बुला लेंगे. हालांकि, यह अनाधिकारिक ही होगा, क्योंकि पुलिस कमिश्नर या किसी आला अधिकारी की ओर से इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. पुलिस का कहना है कि वकीलों की ओर से उनपर किए जा रहा हमला इस बात को दर्शाता है कि उनकी नजर में पुलिस की कोई अहमियत नहीं रह गई है. इसलिए उन्होंने फैसला किया है कि वे अपने अदालतों में कार्यरत स्टाफ को वापस बुला लेंगे.
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लगातार पिट रहे पुलिसकर्मियों ने अदालत की सुरक्षा से हाथ खींचा
दिल्ली में अगर ऐसा हुआ तो इसका प्रभाव बहुत बुरा पड़ सकता है. कारण कि दिल्ली के लगभग सभी अदालतों में बाहरियों की जांच से लेकर अदालतों पर आंच तक की देखभाल दिल्ली पुलिस ही करती है. इससे पीछे हट जाने के बाद न सिर्फ अदालतों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है, बल्कि शहर में तनाव भी बढ़ सकता है. दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच तीस हजारी के विवाद से शुरू हुआ यह मामला थम भी नहीं रहा और हर दिन नए बखेड़ों का कारण भी बनता जा रहा है. बसंत कुंज, साकेत और दिल्ली के अऩ्य कई जगहों पर वकीलों ने पुलिसकर्मियों की पिटाई करनी शुरू कर दी थी. ये कुछ आग में घी डालने जैसा था.
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पुलिस मुख्यालय की सुरक्षा CRPF के हवाले
दिलचस्प बात यह है कि नागरिकों की रक्षा-सुरक्षा की जिम्मेदारी वाली पुलिस खुद अपनी रक्षा कर पाने में नाकाम है. आलम यह है कि दिल्ली पुलिस के मुख्यालय की सुरक्षा के लिए CRPF के जवानों की तैनाती की गई है. यह अपने आप में एक बड़ी बात है कि रक्षकों की रक्षा एक समस्या बन चुकी है. उपराज्यपाल से बैठक में पूरे मामले के संबंध में बातचीत करने पहुंचे दिल्ली पुलिस के आला अधिकारियों ने पुलिस मुख्यालय की सुरक्षा की मांग की थी जिसके बाद सुरक्षाबलों की तैनाती की गई.
खैर, यह तो एक बात है, दूसरा एक पहलू यह भी है कि वकीलों ने भी आरोप लगाया है कि पुलिस वालों ने पहले तो एक साथी को गोली मार दी और अब इस हड़ताल का ड्रामा कर रहे हैं. मंगलवार को ही पुलिस के विरोध में एक वकील रोहिणी कोर्ट की बिल्डिंग पर खड़े हो कर विरोध प्रदर्शन करने लगा.