नई दिल्ली: अफवाहें हैं ये सभी जो आप तक पहुँच रही हैं व्हाट्सअप के ज़रिये. कोरोनावायरस की खबरों के बीच लोग ये कहते नज़र आ रहे हैं कि अखबार और ग्रॉसरी जैसी चीजों से संक्रमण फैलता है. सच क्या है, हम आपको बताते हैं.
त्वचा है सबसे आसान वाहन
कोरोना वायरस पर लोगों में उलझन है कि किस वस्तु को हाथ लगाएं किस वस्तु को घर पर मंगाएं या खरीद कर लाएं. चाहे वो किसी तरह की ऑनलाइन डिलिवरी का पैकेट हो, या रोज़मर्रा की ग्रॉसरी हो या सुबह का अखबार. विशेषज्ञ कहते हैं कि डरने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि कोरोना वायरस मूल रूप से हमारी त्वचा पर जीवित रहता है. त्वचा के अतिरिक्त हर किस्म के धरातल पर वह अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकता.
सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने दी जानकारी
अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कोरोना संबंधी जानकारियां देते समय बताया कि कोरोनावायरस की किसी जीवित प्राणी की कोशिकाओं को छोड़कर ज्यादातर सतहों पर जीवित रहने की दर अच्छी नहीं है. इस बात पर वायरोलॉजिस्ट्स का कहना है कि इस बात की आशंका ज़रा भी नहीं है कि समाचार पत्र पढ़ने से आप संक्रमित हो जाएंगे.
समाचार पत्रों के सुरक्षित होने का कारण ये है
समाचार पत्र ऑटोमैटिक मशीनों में छपते हैं जहां इंसान का कोई हस्तक्षेप नहीं होता. अखबार के कागज से लेकर प्रिंटिंग मटेरियल का इस्तेमाल करने का काम हो या अख़बार की फोल्डिंग या पैकिंग या डिस्पैच हो - सभी कुछ अत्याधुनिक तकनीक की मदद से किया जाता है.
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सारा काम मशीनों पर होता है. इसके अलावा भी अखबारों ने पाठकों की सुरक्षा के लिए संक्रमण से बचाने के और भी कई उपाय किए हैं. इसलिए खबरों को आप तक पहुंचाने वाला माध्यम आपका अखबार आपके लिए पूरी तरह सुरक्षित है.
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