नई दिल्ली: प्लास्टिक के इस्तेमाल ने एक ओर जहां मानव जीवन को आसान बना दिया है तो वहीं दूसरी ओर पर्यावरण के लिहाज से यह एक गंभीर संकट बन चुका है. प्लास्टिक कचरा केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं. विश्व भर में सरकारें इस पर नकेल कसने की तैयारी कर रही हैं.
20 दिन लगे इस क्रिसमस ट्री को बनाने में
उत्तरी लेबनान का चेक्का गांव जहां 1,20,000 प्लास्टिक की बोतलों से क्रिसमस ट्री बनाया गया. इस क्रिसमस ट्री की लम्बाई 28.5 मीटर है. इसे तैयार करने में गांववालों को 20 दिन लगे हैं. उन्होंने बताया कि प्लास्टिक बोतलों से बना यह दुनिया का सबसे बड़ा क्रिसमस ट्री है. जल्द ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इसका नाम शामिल कराया जाएगा.
तैयारियां और कोशिशें दोनों ही की जा रही हैं. प्रोजेक्ट हेड कैरोलिनी छेबिटिनी ने कहा कि यह पेड़ दुनियाभर के लोगों को प्लास्टिक से मुक्त पर्यावरण रखने की अपील करेगा.
सोशल मीडिया में अपील कर प्लास्टिक बोतलें की थी इकठ्ठा
क्रिसमस ट्री बनाने की तैयार तकरीबन छह महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी. गांववालों ने सोशल मीडिया से सहयोग लेकर तकरीबन 1 लाख 20 हजार बोटलें इकठ्ठा की थी. इस मुहिम को लेकर प्रोजेक्ट हेड कैरोलिनी ने कहा कि सोशल मीडिया पर हमने लोगों से अपील की और कहा कि प्लास्टिक की बोतलों को फेंकने से अच्छा है, वह आप हमें दे दें. इस बात को लोगों ने सुना और इस पहल में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
कैरोलिनी आगे कहती हैं कि क्रिसमस ट्री को करीब डेढ़ महीने तक प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा. बाद में इन बोतलों को रिसायकल करेंगे. इसके साथ ही गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए आवेदन भी कर दिया गया है. संस्था ने हमें क्रिसमस ट्री से जुड़े साक्ष्य और जानकारी भेजने की अपील की है.
मेक्सिको के नाम दर्ज था यह रिकॉर्ड
साल 2018 में प्लास्टिक बोतल से तैयार क्रिसमस ट्री का रिकॉर्ड इससे पहले मेक्सिको के नाम था. उसमें 98 हजार बोतलों का इस्तेमाल किया गया था. तकरीबन 22 टन के उस क्रिसमस ट्री को मेक्सिको की संस्था गोर्बियर्नो डेल एस्टडो डे एगुआस्केलिनेट्स ने तैयार करवाया था.
लेबनान में क्रिसमस ट्री बनाने वाली टीम काफी इसको लेकर काफी खुश है. प्रोजेक्ट से जुड़े यूसेफ-अल-शेख का कहना है कि यह ट्री पर्यावरण बचाव का एक अहम संदेश तक दे रही है. इससे गांववालों को प्लास्टिक कचरे से निपटने की सीख भी मिलेगी और देश को प्रदूषण से भी बचाया जा सकेगा.
लेबनान में प्लास्टिक कचरे से समस्या हो गई थी विकट
इतना ही नहीं इस पेड़ में इस्तेमाल हुई बोतलों को रिसायकल करने के बाद होने वाली कमाई रेड क्रॉस को डोनेट की जाएगी. लेबनान के लिए यह पहल काफी अहम इसलिए भी है क्योंकि 2015 में यहां कचरे का निवारण एक बड़ी समस्या बन चुका था.
तब लेबनान सरकार के पास इससे निपटने का कोई ठोस उपाय नहीं था. प्रदूषण का स्तर चरम तक पहुंच चुका था. कई बीमारियों ने घर कर लिया था. कैंसर पीड़ितों के मामलों में भी लगातार इजाफा हो चुका था.