अहमदाबाद. गुजरात में एक लाख की जनसंख्या वाले इस शहर का नाम है अमरेली. इस शांति के शहर को अब देश में और खासकर गुजरात में महात्मा गाँधी की मूर्ति तोड़ने वाली घटना के लिए याद किया जाएगा.
हरि कृष्णा झील के पास हुई घटना
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की मूर्ति तोड़ देने की ये गुजरात में अपनी किस्म की अकेली घटना है. वैचारिक रूप से विरोध तो महात्मा गाँधी का होता रहता है पर कभी इस हद तक जाकर किसी ने ऐसी अशोभनीय घटना को अंजाम नहीं दिया था जो यहां अमरेली में हुई. यहां की प्रसिद्ध हरि कृष्णा झील के पास स्थित पार्क में लगी हुई महात्मा गांधी की मूर्ति को तोड़ देने की यह घटना कल 4 जनवरी 2020 को देखी गई.
पुलिस ने दर्ज किया मामला
4 जनवरी की शाम को हुई इस घटना की जानकारी पुलिस को किसी व्यक्ति के माध्यम से मिली. कुछ लोग नित्य की भांति कल रात भी हरिकृष्ण सरोवर के समीप स्थित पार्क में भ्रमण के लिए निकले थे. उन्होने किसी व्यक्ति को मूर्ति तोड़ते नहीं देखा. लेकिन तत्परता दिखाते हुए इन व्यक्तियों द्वारा तुरंत पास के पुलिस थाने में रिपोर्ट की गई.
पुलिस पता लगा रही है इस मूर्ति-भंजक के विषय में
महात्मा गांधी की मूर्ति किसने तोड़ी, इस बारे में पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. पार्क में मौजूद लोगों से पूछने पर ऐसे किसी व्यक्ति की जानकारी नहीं मिल सकी जिसे किसी ने ऐसी हरकत करते देखा हो. सरोवर के समीप स्थित लाठी पुलिस थाने के पुलिस अधिकारी वाई पी गोहिल के अनुसार पुलिस द्वारा दोषियों की पहचान और उनकी धरपकड़ के प्रयास किए जा रहे हैं. गोहिल ने बताया कि हमने डायरी में प्रविष्टि कर दी है. यह काम सरोवर विरोधियों अथवा असामाजिक तत्वों का हो सकता है.
एक साल पहले ही लगाईं गई थी ये प्रतिमा
महात्मा गांधी की यह प्रतिमा पिछले साल 2018 में ही हरिकृष्ण सरोवर के पास के पार्क में लगाई गई थी. इस हरिकृष्ण सरोवर का निर्माण सूरत के रहने वाले हीरा व्यवसायी सावजीभाई ढोलकिया द्वारा अपने ढोलकिया फाउंडेशन के माध्यम से करवाया गया था. न सिर्फ निर्माण बल्कि इस सरोवर के सौंन्दर्यीकरण और देखरेख का दायित्व भी इसी फाउंडेशन ने अपने हाथों में ले रखा है. अहम बात यह है कि 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से इसका उद्घाटन हुआ था.