Muslim Lingayat Math Priest: मुस्लिम युवक ने स्वीकार की सनातन परंपरा, बनाए जाएंगे लिंगायत मठ के महंत

सनातन धर्म (Sanatan dharm) की पताका पूरे देश में लहरा रही है. इसकी शरण में लगातार दूसरे मजहब के लोग भी आ रहे हैं. ऐसी ही घटना कर्नाटक में दिखी. जहां पर एक मुस्लिम युवक ने सनातन परंपरा के तहत आने वाले लिंगायत संप्रदाय में शामिल (Muslim man appointed as Lingayat Mutt Priest) होने का फैसला किया. रहीमनसाब मुल्ला नाम के इस शख्स को गडग जिले के लिंगायत मठ का प्रमुख बनाया गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 20, 2020, 04:22 PM IST
    • मुस्लिम युवक ने अपनाया सनातन धर्म
    • रहीमन मुल्ला बनेंगे लिंगायत मठ के पुजारी
    • पिछले साल मुल्ला ने दीक्षा ली थी
    • मुल्ला के पिता भी थे भगवान बसवन्ना से प्रभावित
Muslim Lingayat Math Priest: मुस्लिम युवक ने स्वीकार की सनातन परंपरा, बनाए जाएंगे लिंगायत मठ के महंत

हुबली: कर्नाटक के हुबली जिल में एक मुस्लिम युवक ने सनातन परंपरा को अंगीकार किया है. दीवान शरीफ रहीमनसाब मुल्ला माम के इस 33 वर्षीय युवक को भगवा वस्त्रों में देखकर कोई कह नहीं सकता कि वह दूसरे मजहब के थे. उनके चेहरे पर भक्तिभाव का जो तेज विद्यमान है, वह उनके आंतरिक परिवर्तन को उजागर करता है.

भगवान श्री बासवन्ना से प्रभावित था मुल्ला का परिवार
रहीमन मुल्ला का परिवार शुरु से ही लिंगायत संप्रदाय (Lingayat Mutt) के संस्थापक और महान समाजसुधारक भगवान बासवन्ना से प्रभावित था. रहीमन के दिवंगत पिता ने खजूरी मठ के पुजारी मुरुगराजेंद्र कोरानेश्वर शिवयोगी के वचनों से प्रभावित होकर अपने गांव में मठ की स्थापना के लिए दो एकड़ भूमि का दान किया था.
श्री शिवयोगी कलबुर्गी के खजुरी गांव के 350 साल पुराने कोरानेश्वर संस्थान मठ से जुड़े इस शांतिधाम मठ के प्रधान हैं. 

मुल्ला ने पिछले साल ली थी 'लिंग दीक्षा'
रहीमन मुल्ला के गुरु शिवयोगी ने बताया कि 'मुल्‍ला बसवन्‍ना के दर्शन के प्रति समर्पित हैं.  उनके पिता ने भी हमसे 'लिंग दीक्षा' ली थी. इसके बाद 10 नवंबर 2019 को शरीफ ने 'दीक्षा' ग्रहण की. हमने उन्हें पिछले तीन वर्षों में लिंगायत धर्म और बासवन्ना की शिक्षाओं के विभिन्न पहलुओं को लेकर प्रशिक्षित किया है.'

रहीमन ने पूरे भक्तिभाव में स्वीकार किया है सनातन पथ
सामाजिक बंदिशों को तोड़कर लिंगायत (Lingayat Mutt) संप्रदाय में आने वाले रहीमन मुल्ला ने बताया कि ‘मैं पास के मेनासगी गांव में आटा चक्की चलाता था और अपने खाली समय बासवन्ना और 12वीं शताब्दी के अन्य साधुओं द्वारा लिखे गए प्रवचनों के प्रसार के साथ व्‍यतीत करता था. मुरुगराजेंद्र स्वामीजी ने मेरी इस छोटी सी सेवा को पहचान लिया और मुझे अपने साथ ले लिया. मैं बासवन्ना और मेरे गुरु द्वारा प्रचारित उसी रास्ते पर आगे बढ़ूंगा.'

मुल्ला को मठ पुजारी बनाने का नहीं है कोई विरोध
रहीमन मुल्ला को लिंगायत मठ की कमान सौंपने से लिंगायत संप्रदाय के अनुयायियों में किसी तरह का विरोध नहीं है. हालांकि रहीमन मुल्‍ला विवाहित हैं. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है. आम तौर पर लिंगायत मठों में गृहस्‍थ लोगों को पुजारी नहीं बनाया जाता. लेकिन रहीमन मुल्ला के मामले को अपवाद माना गया है. उन्हें दीक्षा देने वाले गुरु शिवयोगी का तर्क है कि लिंगायत धर्म (Lingayat Math) संसार  के माध्यम से सद्गति में विश्वास करता है.  पारिवारिक व्यक्ति एक स्वामी बन सकता है और सामाजिक तथा आध्यात्मिक कार्य कर सकता है. मठ के सभी भक्तों के समर्थन से पुजारी के पद को मुल्‍ला को सौंपा गया है.’

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