नई दिल्ली: दिल्ली में लोगों के स्वास्थ को देखते हुए और वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह अलग-अलग जगहों पर स्मॉग फ्री टावर लगवाए. स्मॉग फ्री टॉवर को प्यूरिफाइंग टॉवर के नाम से भी जाना जाता है. स्मॉग फ्री टॉवर की बात करें तो यह वायु में मौजूद गंदगी को अंदर खींच लेता है और स्वच्छ हवा को वातावरण में छोड़ देता है.
बड़े पैमाने पर करेगा हवा को स्वच्छ
यह एक विशाल प्यूरिफायर होता है जो बड़े पैमाने पर हवा को प्रदूषण मुक्त करने का काम करता है. यह मशीन प्रति घंटे कई करोड़ घन मीटर वायु को स्वच्छ करता है. स्मॉग फ्री टॉवर में जो फिल्टर लगे होते हैं वह PM-2.5 और PM-10 में मौजूद हानिकारक कणों को साफ करने में सक्षम होता है. यह हवा में मिले PM-2.5 व PM-10 के कणों को लगभग 75 प्रतिशत तक साफ करते है और सांस लेने के लिए प्रदूषण मुक्त हवा प्रदान करते हैं.
दिल्ली में प्रदूषण का द्रोहकाल, पूरी खबर यहां पढ़िए
एक स्टार्टअप कंपनी ने किया है तैयार
स्मॉग फ्री टॉवर को छतों, सड़कों या पार्क कहीं भी खड़ा किया जा सकता है. यह फिल्टर किए गए हवा को 6 स्लाइड वेंट्स से बाहर की ओर छोड़ता है और लगभग 30,000 क्यूबिक मीटर हवा प्रति घंटे की रफ्तार से साफ करता है. स्मॉग फ्री टॉवर सौर ऊर्जा पर भी काम करता है. दिल्ली की एक स्टार्टअप कंपनी ने 40 फुट लंबे स्मॉग फ्री टॉवर बनाया है जो 3 किलोमीटर तक के दायरे में काम करेगा और करीब 75,000 लोगों तक स्वच्छ हवा पहुंचाएगा.
कहां लगाया गया पहला टॉवर
वर्ल्ड का पहला 23 फीट का स्मॉग फ्री टॉवर नीदरलैंद में वर्ष 2015 में लगाया गया जो एक परीक्षण की तौर पर लगाया गया था. इसके बाद 2016 में चीन ने अपनी हवा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए बीजिंग में भी स्मॉग फ्री टॉवर लगाया और उसके बाद चीन ने यह टॉवर तियांजिन और क्राको शहर में भी लगवाया.
दिल्ली में बिकने लगी साफ हवा, पूरी खबर पढ़िए यहां
किसने किया आविष्कार
स्मॉग फ्री टॉवर को नीदरलैंड के डैन रोजगार्टर ने बढ़ती हुई प्रदूषण को देखते हुए इसका आविष्कार किया. कहा जाता है कि एक दिन डैन ने अपनी खिड़की से बाहर देखा तो उन्हें कुछ भी साफ नहीं दिखा इसे देखकर डैन ने 2015 में स्मॉग फ्री टॉवर का निर्माण किया.