लखनऊ/भोपाल: गिरोह ने एक प्राइवेट अस्पताल के संचालक से दो लाख रुपए की ठग भी लिए थे. गिरोह की नई योजना में अब भोपाल के कुछ बड़े कारोबारी थे. लेकिन अस्पताल की घटना के बाद ही चौकन्ना होने के बाद उन्हें धर दबोचा गया. क्राइम ब्रांच ने प्राइवेट अस्पताल के संचालक डॉ. अल्ताफ मसूद की शिकायत को आधार मानते हुए यह कार्रवाई की. पुलिस ने सबसे पहले तो तकनीकी सबूतों को आधार बनाया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया. इनकी पहचान उत्तर प्रदेश के रहने वाले रमेश प्रजापति और सलीम के रूप मे हुई.
अस्पताल के डॉक्टर आ चुके हैं झांसे में
पूरे मामले की जब उधेड़बुन की जांच के बाद डॉ. मसूद ने क्राइम ब्रांच में की गई शिकायत में बताया कि उन्हें एक अनजान नंबर से फोन आया था. फोन करने वाले ने खुद को BSNL का जीएम एके पांडे बताया. डॉ. मसूद ने कहा कि कथित जीएम ने उनसे कहा कि BSNL के कर्मचारियों के बच्चों का इलाज आपके अस्पताल में कराए जाने की बात चल रही है.
इसके बाद आरोपी का एक साथी डॉ. मसूद को कुछ दस्तावेज भी थमा कर चला गया. इसके साथ ही उनसे प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 2 लाख रुपए भी ऐंठ लिए गए. डॉ. मसूद के मुताबिक इसके बाद आरोपी ने अपना मोबाइल बंद कर लिया. दस्तावेज की जांच की गई तो वह फर्जी निकले. तुरंत बाद डॉ. मसूद ने क्राइम ब्रांच में पूरे मामले की शिकायत कर दी.
स्पेशल-20 टीम के जरिए फर्जी छापेमारी करता था गिरोह
क्राइम ब्रांच मौके पर पहुंची तो पूछताछ में खुलासा हुआ कि रमेश जो गिरोह का मुख्य अभियुक्त है, वह अपने गांव में स्कूल चलाता है. साल 2017 में उसने 20 लोगों की एक फर्जी टीम बनाई और खलीलाबाद की ज्वेलरी शॉप पर खुद को लखनऊ इनकम टैक्स का अधिकारी बताकर छापेमारी करने पहुंच गए. फर्जी छापेमारी के जरिए आरोपियों ने दुकान से तकरीबन 23 किलो सोना लूट लिया. इस वारदात से प्रदेश में सनसनी मच गई. पुलिस ने हालांकि जल्द ही आरोपियों को धर दबोचा.
क्राइम ब्रांच के जांच के मुताबिक गिरोह का भांडा फूटने के बाद रमेश प्रजापति समेत अन्य आरोपियों ने जल्दबाजी में अपना ठिकाना बदल लिया और उनमें से कई मध्य प्रदेश आ गए. यहां पहुंच कर गिरोह भोपाल में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहा था.
भोपाल में भी सनसनी मचाने का बना चुके थे प्लान
पूछताछ में आरोपी रमेश प्रजापति ने कबूल किया कि वे अब भोपाल में ठगी की पूरी योजना बना चुके थे. इसके लिए वह और उसका साथी सलीम फर्जी पहचान पत्र के जरिए होटल में रुके थे. पूछताछ के बाद ही यह जानकारी मिली कि भोपाल के 25 अस्पताल उनके निशाने पर थे. इनकी रेकी के लिए उसने किराए पर एक कार भी किराए पर ले रखी थी. पुलिस की मानें तो रमेश प्रजापति अच्छी अंग्रेजी बोल लेता है, इसलिए पहली नजर में किसी को भी उसके झूठ पर शक नहीं होता.
लूट की घटना को अंजाम देने के लिए रमेश अभी अपने गिरोह को बुलाने ही वाला था कि पहले ही पकड़ा गया.