दिल्ली: कांग्रेस देश भर में NRC का विरोध कर रही है और कह रही है कि इससे देश के मुसलमानों को खतरा है क्योंकि नागरिकता साबित न कर पाने की स्थिति में उन्हें डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जायेगा. बता दें कि डिटेंशन सेंटर की पहल खुद कांग्रेस के शासनकाल में हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हो रही है NRC
आपको बता दें कि NRC की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों पर अमल में लाई गई. जिसमें अदालत ने कहा था कि भारतीय जमीन पर विदेशियों के तौर पर पहचाने गए लोगों को सारी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिये डिटेंशन सेंटर बनाए जाएं. डिटेंशन सेंटर की पूरी प्रक्रिया भी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों पर अमल में लाई गई है.
डिटेंशन सेंटर खोलने का कांग्रेस ने किया था फैसला
गौरतलब है कि ज़िला जेलों में डिटेंशन सेंटर खोलने का फैसला 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लिया था. ये ऐसा किया गया था कि घोषित विदेशियों को 'लापता' क़रार देने की स्थिति से बचा जा सके. दिलचस्प है कि यूपीए सरकार ने ये फैसला जब लिया था तब पी चिदम्बरम देश के गृह मंत्री थे. तब असम में भी तरुण गोगोई के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ही सत्ता में थी. आज यही लोग इसका विरोध करके सियासी रोटियां सेंक रहे हैं.
डिटेंशन सेंटर में बनेगीं इमारतें
आपको बता दें कि डिटेंशन सेंटर में 4-4 मंजिल की 15 इमारतें बनेंगी. इनमें से 13 पुरुषों के लिए और 2 महिलाओं के लिए होंगी. असम में अभी तक छह ज़िला जेलों से डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं. ये जेल डिब्रूगढ़, सिलचर, तेज़पुर, जोरहाट, कोकराझार और गोवालापारा में स्थित हैं. इन जेलों के डिटेंशन सेंटरों में मौजूदा समय में पिछले कुछ वर्षों में लाए गए 800 लोग रह रहे हैं.
असम के गोवालपारा जिले में चल रहा है डिटेंशन सेंटर का निर्माण कार्य
असम के गोवालपारा जिले के माटिया में पहले डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) का निर्माण कार्य चल रहा है. इस सेंटर का करीब 65% हिस्सा अब तक पूरा हो चुका है. ये डिटेंशन सेंटर करीब 46 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है. इस सेंटर में 3,000 लोगों को रखा जा सकेगा. सेंटर का निर्माण कार्य दिसंबर 2018 में शुरु हुआ था. सेंटर का निर्माण कार्य अगले साल पूरा हो जायेगा.