नई दिल्ली: तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने चीन के कम्युनिस्ट शासन को निशाने पर लिया है. और उसके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने का आह्वान किया है.
चीन के कम्युनिस्ट शासन पर निशाना
तिब्बत के कल्चर के संरक्षण की बात कहते हुए दलाई लामा ने कहा कि कहा कि चीन का कम्युनिस्ट शासन बंदूक की ताकत पर चल रहा है. जिसका तिब्बत के बौद्ध सच्चाई की शक्ति के साथ पुरजोर विरोध कर रहे हैं, और वक्त बीतने के साथ चीन की बंदूक की ताकत पर तिब्बत के सत्य की विजय होगी.
फिलहाल दलाई लामा बिहार के बोध गया में अपने दो दिनों की धार्मिक यात्रा पर हैं. इसी स्थान पर भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. दलाई लामा ने इस दरम्यान कहा कि आज बोद्धों की सबसे बड़ी आबादी चीन में है, और वो बौद्ध धर्म को वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित धर्म मानते हैं. यहां तक कि चीन के बौद्धिस्ट भी बौद्धिज्म की तिब्बतियन परंपरा को ज्यादा सही मानते हैं.
'दुनिया में फैल रही हिसा निंदनीय'
धर्मगुरु ने कहा कि मानवीय मूल्यों और नैतिकता के साथ सामाजिक दायित्व, सहिष्णुता, सौहार्द, सत्यनिष्ठा, और अहिंसा का पाठ प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की नींव थी, जिसकी आज भी जरूरत है. जबकि दुनिया में फैल रही हिसा निंदनीय है.
तिब्बतियन बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा है कि 'हमारे पास सत्य है, सत्य की शक्ति है. जबकि चीनी कम्युनिस्ट शासन के पास बंदूक की शक्ति है. लंबे समय के अंतराल में सत्य की शक्ति बंदूक की शक्ति से बहुत अधिक मजबूत साबित होती है.'
जब दलाई लामा ने भारत में ली थी शरण
दरअसल 1959 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन की नीतियों के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था. एक संधि के तहत कहा गया था कि तिब्बत के भीतरी मसले देश के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के अधीन रहेंगे, पर चीनी कम्यूनिस्ट सेना के बढ़ते दखल से तिब्बत के शांत धार्मिक लोगों में ग़ुस्सा पनपने लगा और तेज विरोध-प्रदर्शन होने लगे थे. चीन की सेना के दमन में दलाई लामा घिर चुके थे, तब उन्होंने अपना देश छोड़कर भागने के बाद 1959 में भारत में शरण ली थी. जिसके बाद से वो हिमाचल के धर्मशाला में रहते हैं.
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84 साल के धर्मगुरु दलाई लामा को चीन संत के वेष में क्रूर शख्स कहता है. चीन ने इसी साल अक्टूबर में कहा था कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी चुने जाने से पहले उसकी मंजूरी ली जाए. जबकि, अमेरिका ने कहा था कि तिब्बत के लोग खुद दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे, इसमें बीजिंग कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा.
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