क्या क्रिसमस केक की मिठास कम कर देगा NRC-CAA का हिंसक प्रदर्शन ?

NRC और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बनाई गई छवि को लेकर हर तरफ जो विरोध प्रदर्शन एक हिंसक रूप ले चुका है, उसका खामियाजा कई व्यवसायों को भी भुगतना पड़ रहा है. देश के विभिन्न प्रांतो में रहने वाले लोगो की नींद उड़ी हुई है. असम के बाद बंगाल में भी सबसे ज्यादा असर देखा गया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 18, 2019, 04:03 PM IST
    • केक बनाने वाली बेकरी दुकानों में अब चंद भर ही रह गए हैं मजदूर
    • रोजगार की तलाश में पहुंचे थे बंगाल अब लौटना पड़ेगा
    • मजदूरों के बात को सही ठहराया कारखाने के अधिकारी ने

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क्या क्रिसमस केक की मिठास कम कर देगा NRC-CAA का हिंसक प्रदर्शन ?

कोलकता: पिछले कई दिनों से पश्चिम बंगाल के कई जिलों में, प्रांतो में विरोध प्रदर्शन और हिंसा चल रही है. चलती ट्रेन को रोका जा रहा है. आगजनी की जार ही है, यहां तक कि बसों में तोड़ फोड़ की जा रही है. इस तरह की घटनाएं मूलतः मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में घट रही है. इसके साथ-साथ इसी वजह से हिंसा का प्रभाव कही न कही बेकरी की दुकानों में भी पड़ रहा है. दरअसल, दिसंबर में क्रिसमस डे मनाया जाता है. इस दिन की एक खास परंपरा यह है कि इसमें केक बांटे जाते हैं. ठीक एक महीने पहले से क्रिसमस केक बनने शुरू हो जाते हैं, इन सभी बेकरियो में. 

केक बनाने वाली बेकरी दुकानों में अब चंद भर ही रह गए हैं मजदूर

हुगली जिले के बैंडेल, चुचुड़ा, चंदननगर, भद्रेश्वर, चापदानी जैसे कई इलाकों में अधिकतम बेकरी की दुकानें हैं. इन सभी दुकानों में भले ही पूरे साल बिस्कुट, रोटी इत्यादि बनाए जाते हैं. ठीक उसी प्रकार से क्रिसमस के ठीक एक महीने पहले से यह लोग केक बनाने का  काम शुरू कर देते हैं. हुगली जिले के इन प्रांतो में बनने वाले केक राज्य के विभिन्न इलाकों में भेजे जाते हैं और इनकी मांग सबसे अधिक होती है.

नवंबर महीने के अंत से ही बेकरी मालिक अपनी-अपनी दुकानों में केक बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. इसी दौरान राज्य के विभिन्न जिलों से केक बनाने वाले कारीगर यहां हुगली में पहुंचते हैं. ये सभी मूल रूप से मुस्लिम बाहुल्य इलाकों के ही होते हैं जो अभी प्रोटेस्ट कर सारी चीजें तहस नहस करने में लगे हुए हैं.

रोजगार की तलाश में पहुंचे थे बंगाल अब लौटना पड़ेगा

हावड़ा, मुर्शिदाबाद, बर्दवान जैसे इलाकों से यह सभी कारीगर रोजगार करने के लिए यहां के कारखानों में काम करने आते हैं. मगर आए दिन हो रहे CAA - NRC के विरोध और हिंसा को देखते हुए अब ये सभी कारीगर अपने-अपने घरों को वापस लौटना चाहते हैं. इनके अंदर इतना आतंक भर चुका है कि इनका अब काम में दिल ही नहीं लगता. हुगली के राजहाट में स्थित बंगाल बेकरी में बाहर से कई लोग रोज़गार की तलाश में काम करने आए थे. 

उन्हीं में से कारीगर रिंकू मंसूरी, लाल किरण मंडल अब चिंता में डूब गए हैं कि आगे क्या होगा ? उनका कहना है कि दिमाग तो हमेशा से ही घर की चिंता में डूबा रहता है मगर काम के बोझ के चलते नहीं जा पा रहे हैं. इसके साथ-साथ NRC को लेकर पूरे राज्य में आग लगी हुई है. कभी-कभी काम के बीच में ही टीवी खोल के खबर देख लेते हैं. हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द काम खत्म कर यहां से निकल जाएं.

मजदूरों के बात को सही ठहराया कारखाने के अधिकारी ने

वहीं दूसरी तरफ कारखाने के अधिकारी नबाब अलीमोल्ला ने भी NRC के प्रभाव के चलते इन मजदूरों की बात को सही ठहाराया. हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि चाहे कुछ भी हो जाए क्रिसमस के केक को हम बनाकर ही रहेंगे.

कारखाने के मालिक की तरफ सेनुरुल सरकार ने बताया कि पिछले कुछ सालों में नोटबंदी, GST जैसी समस्याओं के चलते हमें भुगतना पड़ा. इस बार NRC - CAA के चलते बेकारी भी बढ़नी शुरू हो गई है. अब अगले साल क्या लाएंगे क्या पता? 

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