वुल्फ मून एक्लिप्स है 10 जनवरी का चंद्रग्रहण

वर्ष 2020 का पहला चंद्रग्रहण पड़ रहा है कल शुक्रवार को   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 9, 2020, 03:35 PM IST
    • वुल्फ मून एक्लिप्स अर्थात उपछाया ग्रहण
    • 10 जनवरी को है साल का पहला चंद्र ग्रहण
    • चार घंटे पांच मिनट की चंद्र ग्रहण की अवधि
    • शुक्रवार रात 10 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगा
    • शनिवार सुबह 2 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा.
वुल्फ मून एक्लिप्स है 10 जनवरी का चंद्रग्रहण

नई दिल्ली. कल शुक्रवार 10 जनवरी को लगने वाला है इस साल का पहला चंद्र ग्रहण. आइये यहां जानते हैं इससे संबंधित कुछ अहम  तथ्य.

चंद्र ग्रहण का समय 

कल शुक्रवार 10 जनवरी 2929 को लगने वाला चंद्रग्रहण चार घंटे पांच मिनट तक चलेगा. इसके शुरू होने का समय कल रात 10 बजकर 37 मिनट है जो कि परसों सुबह अर्थात शनिवार 11 जनवरी को 2 बजकर 42 मिनट पर खत्म होगा.

नासा ने दिया है ख़ास नाम 

इस बार इस चंद्र ग्रहण के साथ दो विशेष बातें जुडी हुई हैं. एक तो यह वर्ष का प्रथम चंद्र ग्रहण है और दूसरी बात  ये है कि नासा ने इसे वुल्फ मून एक्लिप्स का नाम दिया है. नासा के अनुसार यह पहला ऐसा अवसर है जब एक ही साल में चार पेनुम्ब्रेल लूनर एक्लिप्स (उपछाया ग्रहण) देखे जाएंगे और दस जनवरी वाला लूनर एक्लिप्स इस वर्ष इसका प्रथम संस्करण होगा.

इसके बाद होंगे तीन उप-छाया ग्रहण 

फिलहाल तो यह पूर्ण चंद्रग्रहण के तौर पर सामने आ रहा है लेकिन इसके बाद यह तीन बार फिर लौट कर आएगा लेकिन तब यह उप-छाया ग्रहण के नाम से जाना जाएगा. ये तीनों उप-छाया ग्रहण इस साल 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को पड़ने वाले हैं. वर्ष का यह प्रथम चंद्रग्रहण एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों में नज़र आएगा. 

उपछाया चंद्र ग्रहण की वजह 

उपछाया चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पृथ्वी सूरज और चांद के बीच आ जाती है. इस वजह से सूरज की रोशनी के मार्ग पर पृथ्वी आ जाती है. तब इस स्थिति में चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है. किन्तु इस उपछाया ग्रहण में चंद्रमा पर कोई परछाई नहीं पड़ेगी.

खुली आँखों से नहीं दिखेगा यह उपछाया ग्रहण 

सूर्य ग्रहण को तो सीधे आँखों से देखा ही नहीं जा सकता किन्तु चंद्र ग्रहण को सीधे आँखों से देखने से  कोई नुकसान नहीं होता. दस जनवरी वाला यह चंद्र ग्रहण चूंकि उपछाया ग्रहण है इसलिए यह खुली आंखों से नहीं दिखाई देगा.  चंद्र ग्रहण जब अपने चरम पर होगा तो चंद्रमा के 90  प्रतिशत भाग पर पृथ्वी की उपछाया पड़ेगी और यह स्थिति ही इसे उपछाया ग्रहण बनाती है. 10 जनवरी के बाद 5 जून, 5 जुलाई और 30 नवंबर को यही उपछाया ग्रहण फिर से देखे जाएंगे. 

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