क्या अदालत के फैसले से पहले ही होगा अयोध्या विवाद का समाधान? जानिए वजह...

क्या मुसलमानों में राम मंदिर पर आम राय बन रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर को लेकर आज एक ऐसा बयान आया है कि हर कोई ये सोचने पर मजबूर हो जाएगा कि मंदिर पर बन जाएगी बात.

Last Updated : Oct 11, 2019, 08:08 PM IST
    • उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट देश के इस सबसे पूराने कानूनी विवाद पर जल्द अंतिम फैसला सुना सकता है
    • बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था को देखते हुए राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी जाए
क्या अदालत के फैसले से पहले ही होगा अयोध्या विवाद का समाधान? जानिए वजह...

नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर आखिरी सुनवाई देश की सबसे बड़ी अदालत में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट अयोध्या विवाद पर रोजाना सुनवाई कर रहा है. उम्मीद की जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट देश के इस सबसे पूराने कानूनी विवाद पर जल्द अंतिम फैसला सुना सकता है. लेकिन इस सबके बीच अलीगढ़ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के एक बयान से इस पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है.

अयोध्या विवाद पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह का बड़ा बयान आया है. एएमयू के पूर्व कुलपति ने कहा कि मुसलमानों को अयोध्या में विवादित जमीन राम मंदिर के लिए हिन्दू भाइयों को सौंप देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए अयोध्या में विवादित भूमि को 'सद्भावना संकेत' के रूप में राम मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को सौंप देनी चाहिए.

कुलपति ने ऐसा क्या कह दिया?

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) जमीरुद्दीन शाह ने कहा, 'अगर मुस्लिमों के पक्ष में भी सुप्रीम कोर्ट का फैसला आता भी है तो देश में शांति कामय करने के लिए मुसलमानों को हिंदू भाइयों को जमीन सौंपनी चाहिए. इसका एक समाधान होना चाहिए नहीं तो हम लड़ते रह जाएंगे. मैं अदालत के बाहर निपटारे का पुरजोर समर्थन करता हूं.'

लखनऊ के गोमतीनगर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह की अध्यक्षता में हुई. बैठक में प्रस्ताव पारित कर कहा गया कि करोड़ों हिन्दुओं की आस्था को देखते हुए विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी जाए.

वहीं जेडीयू नेता पवन वर्मा ने इस पर बोला कि 'दुर्भाग्यवश, बहुत सारे मुस्लिम नेता और बुद्धिजीवी निजी तौर पर इस बात पर सहमत है लेकिन वो पब्लिक के सामने इस मुद्दे पर अपने विचार रखने की हिम्मत नहीं दिखा पाते, मुझे बेहद खुशी है कि मुस्लिम बुद्धिजीवी वर्ग के कुछ सदस्यों ने एक कदम आगे आकर वो कहने की हिम्मत दिखाई है. जो वो अभी तक निजी तौर पर कहते आए है.'

अयोध्या पर मुस्लिम वर्ग के एक तबके ने बड़प्पन की जो पहल की है वो काबिले तारीफ है. हालांकि, अब देखना ये है कि अयोध्या विवाद से जुड़े पक्षकार इस पर क्या रूख अपनाते है.

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