कमाल की नक्काशी: ये हैं भारत के 5 सबसे खूबसूरत किले, एक नजर पड़ी तो पलक झपकने का नहीं लेगा नाम!

भारत का इतिहास जितना प्राचीन है, उतना ही वैभवशाली गाथा है. यहां पर सैकड़ों-हजारों साल पुराने कई किले हैं. जिन्हें देखने के बाद पलक झपकाने तक का जी नहीं करता है.

मशहूर लेखक रस्किन बॉन्ड ने भारत के किलों की खूबसूरती को शब्दों में पिरोया था. उन्होंने लिखा, ‘भारत के किलों में एक अनंत प्रेम कहानी बसती है. कुछ पहाड़ियों की चोटियों पर अडिग खड़े हैं, तो कुछ रेगिस्तानी धूप में दमकते हैं. ये किले महज पत्थर नहीं, बल्कि इतिहास में रची-बसी वो कविताएं हैं जो समय के पार गूंजती रहती हैं.’ ऐसे में आइए भारत के ऐतिहासिक और बेहद खूबसूरत 5 किलों का दीदार करते हैं.

 

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जयपुर के पास अरावली की पहाड़ियों पर स्थित आमेर किला राजस्थान की रॉयल विरासत का प्रतीक है, जिसे 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह ने बनवाया था. लाल बलुआ पत्थर और सफेद संगमरमर से बने इस किले में शीश महल, दीवान-ए-खास और गणेश पोल जैसे शानदार हिस्से मौजूद हैं. हाथी की सवारी से किले की चढ़ाई और शाम को होने वाला लाइट एंड साउंड शो इसे पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाते हैं. कर्षण का केंद्र बना हुआ है.

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भारत के सबसे बड़े किले के रूप में प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला मेवाड़ की वीरगाथाओं का गवाह रहा है, जहां रानी पद्मिनी और रानी कर्णावती जैसे ऐतिहासिक किरदारों ने अपनी शौर्यगाथाएं लिखीं. 700 एकड़ में फैले इस किले में विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ और पद्मिनी महल जैसी ऐतिहासिक संरचनाएं शामिल हैं, और यह राजपूत वीरता तथा बलिदान की मिसाल माना जाता है.

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जोधपुर की ऊंचाई पर स्थित मेहरानगढ़ किला 15वीं शताब्दी में राव जोधा द्वारा बनवाया गया था और इसे राजस्थान के सबसे मजबूत और शानदार किलों में गिना जाता है. 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर बना यह किला अपने विशाल दरवाजों, तोपों, संग्रहालय और भव्य महलों के लिए जाना जाता है, और आज भी मारवाड़ की वीरगाथा का जीवंत प्रतीक है.

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ग्वालियर की 300 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित यह किला ‘भारत का जिब्राल्टर’ कहलाता है और इसकी नींव 6वीं शताब्दी में पड़ी मानी जाती है. मान मंदिर, तेली का मंदिर और सास-बहू के मंदिर जैसे स्थापत्य चमत्कारों से सजा यह किला ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है, जिसे कई राजवंशों ने समय-समय पर शासित किया.

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महाराष्ट्र के समुद्री तट पर अरब सागर के बीच स्थित सिंधुदुर्ग किला छत्रपति शिवाजी महाराज की रणनीतिक सोच का उदाहरण है, जिसे 1664 में समुद्री आक्रमणों से बचाव के लिए बनवाया गया था. मालवण से नाव द्वारा पहुंचा जाने वाला यह किला अनोखे निर्माण और समुद्र में स्थित होने के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.