Ramjet Munition: भारत स्वदेशी 155 मिमी रैमजेट गोला-बारूद विकसित कर रहा है, जो पारंपरिक गोलों से दोगुना शक्तिशाली होगा. इसकी रेंज 60-80 किमी तक है, जबकि सामान्य गोले 20-40 किमी तक जाते हैं. रैमजेट तकनीक से गोले हल्के और अधिक तेज होते हैं, जो बाहरी ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर आगे बढ़ते हैं.
भारतीय सेना ने हाल में पाक के साथ संघर्ष किया, जिसमें पूरी दुनिया ने इंडियन मिलिट्री की पावर देख ली. अब भारत नई तकनीक के जरिये आधुनिक हथियार बना रहा है, ताकि दुश्मन को सीमाई और रणनीतिक तौर पर पछाड़ा जा सके.
अब भारतीय सेना स्वदेशी 155 मिमी रैमजेट गोला-बारूद के विकास को तेज कर रही है. ये गोला पुराने गोलों से कहीं अधिक पावरफुल होने वाला है. इसकी क्षमता उनसे दोगुनी होगी यानी दुश्मन को बड़ा नुकसान होगा.
आमतौर पर तोप के गोले 20 से 40 किलोमीटर की रेंज तक ही जा पाते हैं, जबकि रैमजेट संचालित गोला-बारूद की रेंज पारंपरिक गोले के मुकाबले दो से तीन गुना तेज होती है. बता दें कि नॉर्वे की कंपनी नम्मो जैसी वैश्विक कंपनियां ऐसे गोले भी बना चुकी हैं, जिनकी रेंज 150 किलोमीटर तक है.
IIT मद्रास, IIT कानपुर, आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) और रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) की मदद से भारत के रैमजेट युद्ध सामग्री के डेवलपमेंट में सबसे आगे रहा है. एयरो इंडिया 2025 में इनके प्रोटोटाइप को एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम से दागे जाने पर इनकी रेंज 60-80 किमी तक गई है.
रैमजेट तकनीक की सहायता से किसी भी मिसाइल, रॉकेट या गोले को कम वजनी बनाया जाता है. फिर बाहरी वातावरण की ऑक्सीजन ली जाती है और गोले को आगे बढ़ाया जाता है.