Kohinoor: भारत का अनमोल हीरा कैसे बना अंग्रेजों की शान? हर भारतीय को पता होनी चाहिए ये बात

History of Kohinoor: कोहिनूर दुनिया के सबसे कीमती हीरों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई. यह हीरा कई शासकों के हाथ से गुजरते हुए ब्रिटिश के शाही परिवार में जा पहुंचा.

 

कोहिनूर हीरा भारत में मिला और कई शासकों के हाथों से होते हुए नादिर शाह, अफगान शासकों और महाराजा रणजीत सिंह तक पहुंचा. कहते हैं कि जब ये मुगलों के हाथ लगा तो 13वें मुगल शासक अहमद शाह ने इसे अंग्रेजों तक पहुंचाने का काम किया. इसके बाद 1849 से ही कोहिनूर ब्रिटिश शाही परिवार के कब्जे में है.

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कोहिनूर हीरा करीब 800 साल पहले भारत की गोलकोंडा की खदान से निकला था. सबसे पहले यह काकतिय राजवंश के पास रहा, जिन्होंने इसे अपनी कुलदेवी भद्रकाली की मुर्ति में जड़वाया था. उस समय अलाउद्दीन खिलजी ने इसे लूट लिया. इसके बाद से यह मुगलों के खजाने का हिस्सा बन गया. हालांकि, पानीपत के युद्ध के दौरान जब बाबर ने इसे अपनी शान बना लिया.

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1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगलों पर हमला किया और कोहिनूर को हथिया लिया. कहा जाता है कि नादिर शाह ने इसे अपने मयुर तख्त में जड़वाया था, लेकिन नादिर शाह की हत्या के बाद यह उनके पोते शाहरुख मिर्जा को मिल गया, जिन्होंने अफगान शासक अहमद शाह दुर्रानी की सेवा से खुश होकर उन्हें कोहिनूर हीरा उपहार में दे दिया.  

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अहमद शाह दुर्रानी के वंशज कोहिनूर के स्वामित्व रहे. बाद में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने इसे अपने अधिकार में ले लिया. रणजीत सिंह इसे सोने के मुकुट में जड़वाकर रखते थे और इसे सिख साम्राज्य की शान मानते थे. उनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारियों के बीच संघर्ष हुआ, जिसने अंग्रेजों को पंजाब पर कब्जा करने का मौका दिया.

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1849 में जब अंग्रेजों ने पंजाब पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया तो कोहिनूर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पास चला गया. 1850 में इसे इंग्लैंड भेजा गया और महारानी विक्टोरिया को भेंट किया गया. 800 साल पहले जब कोहिनूर मिला था तब इसका वजन करीब 186 कैरेट बताया जाता है, जो बार-बार तराशे जाने के बाद आज 105.6 कैरेट रह गया है. आज भी शाही परिवार के मुकुट में कोहिनूर जड़ा हुआ है.  

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आज कोहिनूर ब्रिटेन के टॉवर ऑफ लंदन में रखा है. भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान इस पर दावा कर चुके हैं, लेकिन यह अभी भी ब्रिटिश शाही परिवार के पास ही है. भारत कई बार इसे वापस मांग चुका है, लेकिन ब्रिटेन इसे लौटाने से इनकार करता रहा है. कोहिनूर सिर्फ एक हीरा नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.