यह एक ऐसी जगह है जो सिटी प्लानिंग और ट्रैफिक मैनेजमेंट के बारे में हमारी सोच को बदल देती है. यहां के लोग बिना ट्रैफिक लाइट के ही अपनी सड़कों पर कैसे तालमेल बिठाते हैं, इस शहर को जानना वाकई दिलचस्प है.
Indian city without traffic lights: भारत के शहर व सड़कें. नाम सुनते ही मानों खचाखच जाम. हालांकि, हमारे ही देश में एक ऐसा भी शहर है, जहां जाम तो दूर की बात, भीड़भाड़ होने के बावजूद यहां कोई ट्रैफिक लाइट नहीं है. सबसे बड़ी बात इस शहर में कोई जाम नहीं लगता है.
भारत में शहर मतलब ट्रैफिक का अंबार, और ट्रैफिक मतलब सड़कों पर जलती-बुझती लाल-पीली लाइटें. यह तस्वीर हमारे दिमाग में बनी हुई है. लेकिन क्या आप जानते हैं, हमारे देश में एक ऐसा अनोखा शहर भी है जहां आपको एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं मिलेगी? फिर भी, यहां की सड़कें आमतौर पर भागदौड़ के बावजूद काफी व्यवस्थित रहती हैं.
पूरे भारत में कोटा ही वो इकलौता शहर है, जहां आपको एक भी ट्रैफिक लाइट नहीं मिलेगी. यह राजस्थान राज्य में स्थित है.
कोटा ने जानबूझकर ट्रैफिक लाइट से दूरी बनाई है. इसकी जगह यहां यातायात को सुचारु रखने के लिए गोल चक्कर और अच्छी तरह से डिजाइन किए गए चौराहों का इस्तेमाल किया जाता है. यह फैसला शहर की बसावट के वक्त ही लिया गया था, ताकि शहर की बढ़ती आबादी के बावजूद सड़कों पर जाम न लगे.
ट्रैफिक लाइट न होने से यहां के लोगों को कई फायदे मिलते हैं. इससे न केवल गाड़ियों का आना-जाना तेज होता है, बल्कि पेट्रोल और डीजल की भी बचत होती है. शहर में हॉर्न बजाने और बेवजह प्रदूषण फैलाने की आदत भी कम है, क्योंकि ट्रैफिक रुकने का झंझट ही नहीं होता.
पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी यातायात को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. गोल चक्करों पर खास ट्रैफिक नियम और जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं. जिससे लोग आपसी तालमेल से यातायात को सुलभ बनाते हैं.
यह वाकई कमाल की बात है कि भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में एक बड़ा शहर बिना ट्रैफिक लाइट के सफलतापूर्वक चल रहा है. यह दिखाता है कि सही योजना और अनुशासन से चीजें कितनी बेहतर हो सकती हैं.
कोटा को देशभर में खासकर इंजीनियरिंग और मेडिकल की कोचिंग के लिए पहचाना जाता है. यहां लाखों छात्र हर साल अपने सपनों को पूरा करने आते हैं.