धूल भरे रेगिस्तान से लेकर भीगे जंगलों तक ये असॉल्ट राइफल है बेहद खतरनाक, भारत के कमांडों करते हैं इस्तेमाल

AK-103 assault rifle: AK-103 का इस्तेमाल भारत, वेनेजुएला और रूस समेत कई देशों और गैर-सरकारी संगठनों जैसे धर्म के संरक्षकों द्वारा किया जाता है.

 

Most powerful assault rifle: दुनिया में कई ऐसी बंदूकें हैं, जो बेहद खतरनाक हैं. इसमें एक नाम AK-103 का भी आता है. Mikhail Kalashnikov द्वारा डिजाइन की गई फेमस AK-47 का आधुनिक संस्करण AK-103 दुनिया की बेस्ट असॉल्ट राइफलों में से एक है. रूसी यह असॉल्ट राइफल 2001 से सेवा में है और इसे प्रतिष्ठित Kalashnikov कंसर्न कंपनी द्वारा निर्मित किया गया है.

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AK-103 को धूल भरे रेगिस्तान से लेकर भीगे जंगलों तक के लिए बेहतर व खतरनाक रूप से काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. इसके डिजाइन में गैस से चलने वाला, घूमने वाला बोल्ट सिस्टम शामिल है, जो AK सीरीज की मजबूत इंजीनियरिंग की पहचान है.

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इसका वजन खाली होने पर 3.6 किग्रा (7.9 पाउंड), भरी हुई मैगजीन के साथ 4.1 किग्रा (8.2 पाउंड) होता है. इसकी लंबाई स्टॉक लॉड होने पर 943 मिमी (37.1 इंच), स्टॉक फोल्ड होने पर 705 मिमी (27.8 इंच) होती है. बैरल की लंबाई 415 मिमी (16.3 इंच) है. यह 600 राउंड/मिनट के हिसाब से फायर कर सकती है. इसकी फायरिंग रेंज 500 मीटर (550 गज) तक रहती है.

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इराक युद्ध और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष जैसी विभिन्न लड़ाइयों में इस्तेमाल की जा रही AK-103 ने युद् के मैदान में अपनी क्षमता साबित की है. इन राइफलों का उपयोग भारतीय मरीन कमांडो द्वारा किया जा रहा है तथा इन्हें गरुड़ विशेष बलों को भी प्रदान किया जा रहा है.

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AK-103 का इस्तेमाल भारत, वेनेजुएला और रूस समेत कई देशों और गैर-सरकारी संगठनों जैसे धर्म के संरक्षकों द्वारा किया जाता है. नए वेरिएंट में सेमी-ऑटोमैटिक फायरिंग क्षमता वाला AK-103-1 और तीन राउंड बर्स्ट फीचर वाला AK-103-2 शामिल है.

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1993 में स्थापना के बाद से AK-103 का उत्पादन कलाश्निकोव कंसर्न द्वारा किया जाता रहा है. राइफल कई तरह की मैगजीन के साथ जुड़ी है, जिसमें ABS प्लास्टिक से बनी आधुनिक 30-राउंड मैगजीन शामिल हैं, जो पहले के स्टील वर्जन की तुलना में हल्की और अधिक टिकाऊ हैं. इससे रात के अंधेरे में सटीक निशाना लगाया जा सकता है.