कॉफी पीने पर जान से मरवा देता था ये सम्राट: भाई का, चाचा का, सबका एक साथ लिया बदला

एक प्राचीन साम्राज्य में जब राजनीतिक अस्थिरता चरम पर थी, तब एक शासक ने कॉफी जैसी सामान्य चीज पर भी मृत्युदंड का फरमान जारी कर दिया. जिसके पीछे की कहानी बेहद दिलचस्प है.

इतिहास ऐसे क्रूर और शक्तिशाली सम्राटों की कहानियों से भरा पड़ा है, जिन्होंने अपने नियमों को लागू करने के लिए किसी भी हद तक जाने से गुरेज नहीं किया. एक ऐसा ही नाम है एक ऑटोमन सुल्तान का, जिसके फरमान ने हजारों लोगों की जान ले ली और उसके साम्राज्य में भय का माहौल बना दिया.

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एक साम्राज्य में ऐसा शासक आया जिसने अपनी युवावस्था में भारी उथल-पुथल देखी थी. सत्ता पर काबिज होने के बाद, इस शासक ने साम्राज्य में व्यवस्था बहाल करने के लिए बेहद कठोर कदम उठाए. जिसमें एक ऐसा फैसला भी था, जिसने पूरे साम्राज्य को हैरान कर दिया.

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यह कहानी ऑटोमन साम्राज्य के सुल्तान मुराद चतुर्थ की है, जिनका शासनकाल 1623 से 1640 तक था. मुराद को क्रूरता और सख्त कानूनों के लिए जाना जाता है. मुराद ने बेहद अशांत दौर में सत्ता संभाली थी, जब साम्राज्य में काफी अस्थिरता और भ्रष्टाचार व्याप्त था.

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इतिहासकारों के मुताबिक, मुराद के बचपन में उनके कई परिवार के सदस्य को सत्ता संघर्ष के दौरान निर्ममता से मौत के घाट उतारा गया था. जिनमें उनके प्यारे भाई और चाचा भी शामिल थे. मुराद का मानना था कि इन हत्याओं के साजिशकर्ता अक्सर कॉफी हाउस जैसे सार्वजनिक स्थलों पर एकत्र होते थे और गुप्त योजनाएं बनाते थे.

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इसी व्यक्तिगत बदले और सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए, मुराद चतुर्थ के सबसे कठोर फरमानों में से एक कॉफी पर पूर्ण प्रतिबंध. यह प्रतिबंध तुर्की के इतिहास में उनकी क्रूरता के रूप में देखा जाता है, क्योंकि इसकी अवहेलना करने वालों को तुरंत मौत की सजा दे दी जाती थी.

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आधिकारिक तौर पर, सुल्तान का मानना था कि कॉफी हाउस सामाजिक बुराइयों और अशांति के केंद्र थे. इन जगहों पर लोग इकट्ठा होते थे, अफवाहें फैलती थीं, और आग लगने का खतरा भी बना रहता था. उनका लक्ष्य सामाजिक व्यवस्था और नैतिक पतन को रोकना था.

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इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए कठोरतम सजा निर्धारित की गई थी. सीधे मृत्युदंड. सुल्तान खुद वेश बदलकर रात में इस्तांबुल की सड़कों पर गश्त करते थे, ताकि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसका पता चल सके. 

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मुराद चतुर्थ ने अपने शासनकाल में सेना में अनुशासन बहाल किया और साम्राज्य की सीमाओं को सुरक्षित किया. उन्होंने भ्रष्टाचार पर नकेल कसी और 1638 में बगदाद को भी सफाविद साम्राज्य से वापस जीत लिया, जिससे उनकी सैन्य क्षमता साबित हुई.

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सुल्तान मुराद चतुर्थ का शासनकाल ऑटोमन साम्राज्य के लिए स्थिरता और सैन्य सफलता का दौर था, लेकिन इसे उनकी अत्यधिक क्रूरता और व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए भी याद किया जाता है. कॉफी पर प्रतिबंध इसका एक प्रमुख और विवादास्पद उदाहरण बन गया.