पिछले करीब 9 महीने से अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को लेकर ड्रैगन कैप्सूल लौट रहा है. इस ड्रैगन कैप्सूल की खूबियां, इतनी एडवांस है कि यह स्पेस में भी ऑटोमैटिक मोड में चलता है.
इस ड्रैगन को अंतरिक्ष में पहुंचने में करीब 24-25 घंटे लगे हैं, जोकि सामान्य समय है. फिलहाल यह ड्रैगन सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को लेकर डॉक यानी इंटरनेशनल स्पेस सेंटर से लेकर अलग हो चुका है. जो 19 मार्च को अमेरिका के फ्लोरिडा में लैंड करेगा.
एलन मस्क की SpaceX कंपनी ने X कैप्सूल को बनाया है. यह एक प्राइवेट स्पेस कंपनी है, जो स्पेसक्रॉफ्ट या मानव मिशनों के लिए डिजाइन की गई है. वहीं, X कैप्सूल अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस सेंटर तक ले जाता है. साथ ही, उन्हें वापस पृथ्वी पर भी ले आता है.
क्रू ड्रैगन में ऑटोमैटिक डॉकिंग सिस्टम है, जो खुद ही ISS से जुड़ जाता है. जरूरत पड़ने पर इसे मैनुअल भी कंट्रोल किया जा सकता है. इस ड्रैगन कैप्सूल में टच स्क्रीन लगा होता है. जिसकी मदद से इसे चलाना काफी आसान हो जाता है.
वहीं, यह एडवांस पैराशूट सिस्टम और आपातकालीन निकास सिस्टम से लैस होता है. जो इमरजेंसी के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया है. जब यह पृथ्वी पर वापस लौटता है, तो इसके पैराशूट खोलने और समुद्र में लैंडिगं की प्रोसेस ऑटोमैटिक ही होती है.
इस कैप्सूल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे दोबारा भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जिसके चलते स्पेस मिशन की लागत काफी कम हो जाती है. साथ ही इसे चलाने के लिए किसी पायलट की जरूरत नहीं होती, फिर भी इसमें सुपरवाइजर के रूप में रहते हैं, जो किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम होते हैं.
इसमें मॉडर्न सेंसर, कंप्यूटर सिस्टम और दुनिया का सबसे एडवांस स्पेस सॉफ्टवेयर लगा होता है. जिसकी मदद से ड्रैगन कैप्सूल को सटीकता के गाइड किया जाता है. इसी ड्रैगन की मदद से सुनीता विलियम्स और उनकी टीम को करीब 9 महीने बाद, पृथ्वी पर लाया जा रहा है.