स्लीपर सेल ऐसे गुप्त आतंकी होते हैं जो आम लोगों की तरह रहते हैं, पर आदेश मिलते ही आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनकी पहचान करना बेहद कठिन हो जाता है. इसके साथ ही नागरिकों को भी जागरूक किया जाता है, ताकि अगर वे किसी संदिग्ध गतिविधि को देखें, तो तुरंत सूचना दे सकें.
आज के दौर में आतंकवाद दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. कई देशों में आतंकवादी संगठन अपने खुफिया नेटवर्क या एजेंटों का इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें 'स्लीपर सेल' के नाम से भी जाना जाता है. ये वो लोग होते हैं जो दिखने में बिल्कुल आम इंसानों जैसे लगते हैं, लेकिन जब मौका आता है तो ये खतरनाक काम कर सकते हैं.
स्लीपर सेल आतंकी संगठनों के सदस्य होते हैं, जो आम आदमी की तरह लोगों के बीच रहते हैं. इन लोगों आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने से पहले अक खास आदेश दिया जाता है, जिसके बाद ये एक्टिव हो जाते हैं और तुरंत आतंकवादी गतिविधियों पर काम करना शुरू कर देते हैं.
स्लीपर सेल का प्रमुख काम, आतंकवादियों की मदद करना होता है. ये लोग छुपकर रहते हैं और आतंकवादी संगठनों की मदद के लिए जरूरी जानकारी इकठ्ठा करते हैं. जब इनको एक्टिव होने का आदेश मिलता है, तो ही ये किसी आतंकवादी घटना को अंजाम देते हैं. इनका काम आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देना है.
स्लीपर सेल के सदस्य आम जीवन जीते हैं और अपनी पहचान छुपाकर रखते हैं. ये लोग अपनी गतिविधियों को पूरी तरह से गुप्त रखते हैं, ताकि कोई इन्हें पहचान न सके. इस कारण से सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनकी गतिविधियों का पता करना काफी मुश्किल हो जाता है.
स्लीपर सेल के खतरे से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी निगरानी रखनी होती है. इसके साथ ही नागरिकों को भी जागरूक किया जाता है, ताकि अगर वे किसी संदिग्ध गतिविधि को देखें, तो तुरंत सूचना दे सकें. इसके अलावा, सुरक्षा बलों को भी इन पर नजर रखने के लिए नए तरीके अपनाने पड़ते हैं.
स्लीपर सेल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में मदद करते हैं. जब इन्हें आदेश मिलता है, तो ये बड़े हमलों को अंजाम दे सकते हैं. इनकी पहचान और गतिविधियों को लेकर सतर्क रहना जरूरी होता है ताकि आतंकवादियों की साजिशों को समय से रोका जा सके.