Indian Police Uniform: भारतीय पुलिस की वर्दी पहले सफेद थी, लेकिन जल्दी गंदी होने के कारण 1847 में खाकी रंग अपनाया गया. यह धूल-मिट्टी में साफ दिखता है और अनुशासन व अधिकार की पहचान बन चुका है.
भारत में पुलिस की पहचान उनकी खाकी वर्दी से होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुरू में पुलिस की वर्दी खाकी रंग की नहीं थी? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी हुई है. आइए जानते हैं कि भारतीय पुलिस की वर्दी खाकी रंग की क्यों और कैसे बनी.
जब भारत में ब्रिटिश हुकूमत थी, तब पुलिस की वर्दी सफेद रंग की होती थी. यह वर्दी देखने में तो साफ-सुथरी लगती थी, लेकिन जल्दी गंदी हो जाती थी. खासतौर पर, जब पुलिसकर्मियों को धूल-मिट्टी भरे इलाकों में ड्यूटी करनी पड़ती थी, तब उनकी वर्दी खराब हो जाती थी. सफेद वर्दी को साफ रखना मुश्किल था, इसलिए इसे बदलने की जरूरत महसूस हुई.
सफेद वर्दी को हर दिन साफ करना पड़ता था, जिससे सभी पुलिसकर्मी काफी परेशान हो जाते थे. तभी यूनिफॉर्म के रंग को बदलने का विचार आया. यूनिफॉर्म के रंग को बदलने के लिए डाई का इस्तेमाल किया जाने लगा. वर्दी को डाई करने के लिए चाय की पत्ती का इस्तेमाल किया गया था ताकि वर्दी को खाकी रंग में बदला जा सके.
ब्रिटिश सरकार ने 1847 में भारतीय पुलिस के लिए खाकी रंग की वर्दी को आधिकारिक रूप से मान्यता दी. सर हैरी लैंसडेन ने सबसे पहले खाकी रंग की वर्दी पहनी थी. धीरे-धीरे यह रंग पूरे देश में पुलिस की पहचान बन गया. हालांकि, कोलकाता की पुलिस आज भी सफेद यूनिफॉर्म का इस्तेमाल करती है. खाकी वर्दी सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी अपनाई गई.
खाकी रंग को अपनाने के पीछे एक और वजह थी, यह रंग गर्मी में आरामदायक रहता है और धूल-मिट्टी में जल्दी गंदा नहीं दिखता. इसके अलावा, खाकी वर्दी पुलिसकर्मियों को एक अनुशासित और सख्त छवि भी देती है, जिससे लोगों में कानून व्यवस्था के प्रति सम्मान बना रहता है.
समय के साथ कई राज्यों ने पुलिस वर्दी में छोटे-मोटे बदलाव किए हैं, लेकिन खाकी रंग अब भी बरकरार है. कुछ राज्यों में अलग-अलग विभागों के लिए नई वर्दी भी पेश की गई है, लेकिन खाकी पुलिस की असली पहचान बनी हुई है