भारत को परमाणु शक्ति बनाने में क्यों अहम है 20 जनवरी की तारीख, जानिए आज का इतिहास

20 जनवरी 1957 को पं. नेहरू ने परमाणु ऊर्जा संस्थान का उद्घाटन कर उसे राष्ट्र को समर्पित किया था. इतिहास में 20 जनवरी का दिन इसी लिहाज बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 20, 2021, 09:37 AM IST
  • 20 जनवरी 1957 को पं. नेहरू ने परमाणु ऊर्जा संस्थान का उद्घाटन कर उसे राष्ट्र को समर्पित किया था
  • 12 जनवरी 1967 को परमाणु केंद्र का नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया
भारत को परमाणु शक्ति बनाने में क्यों अहम है 20 जनवरी की तारीख, जानिए आज का इतिहास

नई दिल्लीः अक्टूबर 1965,  यह दिन किसी आम दिन जैसा ही था. मनोरंज के संसाधन के तौर पर था रेडियो और प्रसारण केंद्र  ऑल इंडिया रेडियो. घरघराती-भरभराती आवाज के बीच उस दोपहर जब रेडियो ट्यून हुआ तो एक ऐसा संदेश पूरे देश में प्रसारित हुआ,

'अगर हमें छूट मिले तो भारत महज 18 महीनों में परमाणु बम बना कर दिखा सकता है' यह महज एक घोषणा नहीं थी, यह ऐलान था कि आजाद हो चुका भारत अब जल्द ही उन हर ऊंचाइयों को छू लेगा जिस पर 200 सालों के इतिहास ने रोक लगा रखी थी. 

रहस्य है डॉ. भाभा का निधन
यह एलानिया आवाज थी महान वैज्ञानिक पद्मभूषण डॉ. होमीजहांगीर भाभा की.  उनकी इस बात का मतलब शायद आम भारतीय तब भले ही न समझ पाया हो, लेकिन अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश जरूर समझ गए थे.  इस घोषणा के ठीक एक साल बाद रहस्यमय तरीके से एक प्लेन क्रैश में डॉ. भाभा का निधन हो गया. कोई नहीं जानता, लेकिन कई बार ऐसे संकेत किए जाते हैं कि भाभा के प्लेन क्रैश में अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA का हाथ था. 

इस आधार पर की थी घोषणा
अक्टूबर के उस रोज डॉ. भाभा ने जिस  आधार पर यह एलान किया था वह यह था कि उस दौरान तक भारत को अपना परमाणु अनुसंधान केंद्र मिल चुका था. भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है.  यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र है. भारत का परमाणु कार्यक्रम डॉ. होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में ही आरम्भ हुआ. 

पं. नेहरू ने किया था राष्ट्र को समर्पित
1954 में नया और आजाद भारत शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में अपने आगे बढ़ने के सपने को हकीकत में बदलना शुरू कर चुका था. साल की शुरुआत का पहला हफ्ता यानी 6 जनवरी 1954 इस हकीकत के रास्तों में बढ़ता पहला कदम था. इस दिन  परमाणु उर्जा आयोग ने  परमाणु उर्जा संस्थान (AEET) नाम से भारत का परमाणु कार्यक्रम शुरू हुआ था.

तकरीबन तीन साल की मेहनत रंग लाई और हम अपना परमाणु अनुसंधान केंद्र बना चुके थे. तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसे खुशी का वह मौका बताया था जो कि आजादी के बाद मिलने वाली सबसे बड़ी जीत के तौर पर थी. 20 जनवरी 1957 को पं. नेहरू ने परमाणु ऊर्जा संस्थान का उद्घाटन कर उसे राष्ट्र को समर्पित किया था. इतिहास में 20 जनवरी का दिन इसी लिहाज बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 

ऐसे पड़ा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र नाम
डॉ. होमी जहांगीर भाभा महान वैज्ञानिक तो थे ही  1950 से 1966 तक परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष भी थे तब वह भारत सरकार के सचिव भी हुआ करते थे. परमाणु कार्यक्रम में भारत की मजबूती को बढ़ाना उनके कई महत्वकांक्षी सपनों और योजनाओं में से एक था. वह चाहते थे कि आजादी के 30 सालों के भीतर भारत परमाणु शक्ति बने ताकि देश जल्द महाशक्ति के तौर पर स्थापित हो. लेकिन प्रगतिवादी सोच की राह में रोड़े आते ही हैं. 

इस तरह दी गई डॉ. भाभा को श्रद्धांजलि
24 जनवरी 1966 का दिन भारतीय इतिहास और विज्ञान का भी एक काला दिन था. मुंबई से न्यू यॉर्क जा रहा एयर इंडिया का बोइंग 707  विमान 24 जनवरी 1966 को मॉन्ट ब्लां के निकट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस दौरान विमान में सवार सभी 117 लोगों की मौत हो गई थी. डॉ. भाभा भी उसी विमान में थे.

वे एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वियना जा रहे थे. इसी हादसे के एक साल बाद 12 जनवरी 1967 को परमाणु केंद्र का नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया. यह नामकरण एक साल पहले हुई डॉ. भाभा की आकस्मिक निधन के लिए श्रद्धांजलि था. 

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