संकष्ठी चतुर्थी व्रत आज, अगहन के इस गुरुवार को करें मां लक्ष्मी की पूजा

तिथियों व व्रत आदि के आधार पर मार्गशीर्ष {अगहन} मास के चतुर्थी तिथि को संकष्ठी  चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. संकष्ठी चतुर्थी व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 3, 2020, 03:12 AM IST
  • संकष्ठी चतुर्थी व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  • यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित है.
  • मार्गशीर्ष के गुरुवार को गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा भी होती है.
संकष्ठी चतुर्थी व्रत आज, अगहन के इस गुरुवार को करें मां लक्ष्मी की पूजा

नई दिल्लीः हिंदू कालगणना और पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास को सबसे उच्च स्थान प्राप्त है. अपने परम प्रिय अर्जुन को गीता ज्ञान देते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं. भगवान द्वारा स्वयं को इस मास का नाम दिए जाने से यह श्रीहरि का ही अवतार मास है. इस मास को अगहन मास भी कहते हैं. इस गुरुवार को (यानी आज) मार्गशीर्ष मास का यह दिन विशेष फलदायी है. दरअसल आज गुरुवार होने से यह भगवान विष्णु की पूजा का दिन है और आज ही संकष्ठी चतुर्थी भी है. 

भगवान गणेश का करें पूजन
तिथियों व व्रत आदि के आधार पर मार्गशीर्ष {अगहन} मास के चतुर्थी तिथि को संकष्ठी  चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. संकष्ठी चतुर्थी व्रत रखने से व्रत रखने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यह व्रत गणेश भगवान को समर्पित है.

इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. इससे भगवान गणेश प्रसन्न होकर व्रतधारी की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

ऐसे करें पूजन
चतुर्थी व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़े पहन लें. उसके बाद एक चौकी पर साफ़ पीला कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश भगवान की मूर्ति रखें. अब गंगा जल छिड़ककर पूरे स्थान सहित स्वयं भी पवित्र हो लें. गणेश भगवान के सामने धूप-दीप और अगरबत्ती आदि जलाकर रख दें.

गणेश भगवान को पीले-फूल की माला अर्पित करें. गणेश भगवान को दूर्वा बहुत पसंद है, संभव हो तो उसे भी उन्हें अर्पित करें. फिर गणेश चालीसा, गणेश स्तुति का पाठ करें. साथ ही गणेश भगवान का जाप करें.

अब गणेश भगवान की आरती करें और उनको बेसन के लड्डू का भोग लगाएं. उसके बाद दंडवत प्रणाम करें.  आरती लेकर परिवार के लिए मंगलकामना करें. चंदमा को अर्घ्य देने के साथ व्रत सम्पूर्ण करें.

मां लक्ष्मी की भी करें पूजा
वैसे तो गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा होती है, लेकिन मार्गशीर्ष के गुरुवार को गुरुवार को मां लक्ष्मी की पूजा भी होती है. कई राज्यों में तो महिलाएं अगहन मास के गुरुवार को विधि-विधान से लक्ष्मी-विष्णु की व्रत रहकर पूजा कर दीपदान करती है. इसमें शंख पूजा का विशेष महत्व है.

कई जगहों पर विवाहित महिलाएं बुधवार की रात में घरों को साफ कर, चावल के लेप से रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी के आगमन का इंतजार करती है. भगवान गणेश के साथ भी माता की पूजा की जा सकती है. 

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