भुवनेश्वरः Corona संकट में प्रमुख मंदिरों के धार्मिक अनुष्ठान जो कि धूम-धाम से हुआ करते थे उनकी रौनक कम हो गई है. हालांकि परंपरा जारी है और निभाई जा रही है. इसी क्रम में शुक्रवार को भगवान श्री जगन्नाथ का अद्भत स्वरूप देखने को मिला.
ओडिशा के श्रीजगन्नाथपुरी में शुक्रवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र ने नागार्जुन वेश धारण किया. यह परंपरा विशेष संयोग होने पर 26 साल बाद निभाई गई. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण जारी प्रतिबंध के कारण 26 साल बाद होने वाले इस दुर्लभ वेश का भक्त दर्शन नहीं कर सके.
ढाई घंटे में संपन्न हुआ नागार्जुन वेश
जानकारी के मुताबिक, नागार्जुन वेश में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ 16 प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों से सुसज्जित होकर योद्धा का वेश धारण करते हैं. यह वेश परंपरा परशुराम वेश भी कहलाती है. इस बार सादे तरीके से इस अनुष्ठान को संपन्न कराया गया. इस दौरान श्रद्धालुओं को प्रभु के विग्रहों तक जाने की अनुमति नहीं थी. सुबह महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी का नागाजरुन वेश ढाई घंटे में संपन्न हुआ.
भगवान ने धारण किए 16 अस्त्र-शस्त्र
सुबह सात बजे से विशेष अनुष्ठान के साथ विधि-विधानपूर्वक महाप्रभु का नागार्जुन वेश की रीति शुरू हुई. सुबह 9:30 बजे आयोजन के संपन्न होने की जानकारी जिलाधीश बलवंत सिंह ने दी. नागार्जुन वेश की नीति शुरू हुई और 16 प्रकार के पारंपरिक युद्ध अस्त्र से वीर योद्धा के रूप में सुसज्जित किए गए.
इसलिए होता है खास
महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी का नागार्जुन वेश अत्यंत ही दुर्लभ होता है. यह एक सामयिक एवं सामरिक वेश होता है. इसमें श्रीजगन्नाथ जी एवं भाई बलभद्र जी को नागा वेश में सजाया जता है. कार्तित महीने के पंचुक की मल तिथि में ही महाप्रभु का नागार्जुन वेश होता है.
आम तौर पर पंचुक पांच दिन का होता है, मगर जिस साल पंचुक 6 दिन का होता है, उसी साल महाप्रभु का नागार्जुन वेश होता है. इस साल भी पंचुक 6 दिन का है ऐसे में महाप्रभु का यह दुर्लभ वेश हो रहा है.
यह भी पढ़िएः अनोखा शिव मंदिर जहां बिना आग के बनता है पूरा भोजन
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा...