आज 19 जनवरी का पंचाग, जानिए कैसी रहेगी दिन की शुरुआत
आज मंगलवार का दिन और पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है जो कि 9 :57 बजे तक ही रहेगी. इसके बाद बाद सप्तमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. षष्ठी तिथि को अन्नपूर्णा षष्ठी कहते हैं.
नई दिल्लीः सप्ताह का दूसरा दिन मंगलवार किसी भी कार्य के लिए मंगल ही मंगल फल देने वाला दिन होता है. ऊर्जा-उत्साह का यह दिन नई शुरुआत करने का उत्तम दिन होता है. हनुमान जी की कृपा इस दिन पर बनी रहती है. अगर आज की तारीख में आप कोई शुभ शुरुआत करने जा रहे हैं तो समय और अनुकूल परिस्थितियों पर भी ध्यान दीजिए.
इसका फल होगा कि कार्य के शुभ संपन्न होने की संभावना और अधिक बढ़ जाएगी. इसके लिए जरूरी है कि पंचाग के आधार पर शुभ तिथि और समय की जानकारी ली जाए. आचार्य विक्रमादित्य इसी बारे में मार्गदर्शन कर रहे हैं.
आज है शुभ रवियोग
तिथि की बात करें तो आज मंगलवार का दिन है. यह पौष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है. आज मंगलवार का दिन और पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है जो कि 9 :57 बजे तक ही रहेगी. इसके बाद बाद सप्तमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. षष्ठी तिथि को अन्नपूर्णा षष्ठी कहते हैं.
आज के दिन अन्नपूर्णा मंदिर में विशेष पूजन का आयोजन करना अति शुभ फलदायी होता है. साथ ही अन्न का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और अगले जन्म में सुंदर काया की प्राप्ति होती है इसी के साथ नक्षत्र पर ध्यान दें तो नक्षत्र भी आज का शुभ संयोग देने वाला है. आज बेहद खास शनि का उत्तराभाद्रपद नक्षत्र है साथ ही सिद्ध योग भी है. इस सबके अलावा आज बेहद शुभ रवियोग भी है जो सुबह 9 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
आज का शुभ मुहूर्त
आज के शुभ मुहूर्त की बात करें तो आज सूर्य उदय से 9:55 तक और 12:10 से 12:50 तक शुभ मुहूर्त रहेगा. इस योग में कोई भी काम करना शुभ फलदायक होता है. आज का राहुकाल यानि वो समय जब आपको कोई भी अच्छा काम करने से बचना चाहिए. आज दोपहर 3:10 से शाम 4:28 तक राहुकाल रहेगा.
जानिए, क्या है अन्नपूर्णा षष्ठी
सृष्टि की रचना काल में देवी पार्वती को माया कहा जाता है और पालन के समय वही अन्नपूर्णा नाम से जानी जाती हैं. संहार काल में यही देवी कालरात्रि बन जाती हैं. पालन करने वाली अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन दैहिक, दैविक, भौतिक सुख प्रदान करता है. ऐसे में अन्न-धन, ऐश्वर्य, आरोग्य एवं संतान की कामना करने वाले स्त्री-पुरूषों को अन्नपूर्णा मां का व्रत-पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए.
मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देवी के व्रत करने का विधान है. साल भर माता के व्रत का अनुष्ठान करने वाले श्रद्धालु हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देवी की विशेष पूजा करते हैं.
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