भारत में भी रंगभेद पर विवाद तेज, पूर्व दिग्गज भारतीय ने कहा- पूरी जिंदगी झेला अपमान

माइकल वॉन समेत कई पूर्व खिलाड़ियों पर अश्वेत क्रिकेटरों ने नस्लीय टिप्पणी करने और रंग के आधार पर भेदभाव करने के आरोप लगाए. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 28, 2021, 08:40 PM IST
  • पूर्व भारतीय स्पिनर ने लगाए रंगभेद के आरोप
  • पूरी जिंदगी झेला रंग के कारण अपमान
भारत में भी रंगभेद पर विवाद तेज, पूर्व दिग्गज भारतीय ने कहा- पूरी जिंदगी झेला अपमान

नई दिल्ली: इंग्लैंड में कई पूर्व खिलाड़ियों ने नस्लवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की है. माइकल वॉन समेत कई पूर्व खिलाड़ियों पर अश्वेत क्रिकेटरों ने नस्लीय टिप्पणी करने और रंग के आधार पर भेदभाव करने के आरोप लगाए. 

पूर्व भारतीय स्पिनर ने लगाए रंगभेद के आरोप

 पूर्व भारतीय लेग स्पिनर लक्ष्मण रामकृष्णन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने जीवन भर ‘रंग के कारण भेदभाव’ का सामना किया है जो उनके अपने देश में भी किया गया है. 

शिवरामकृष्णन भारत के लिये नौ टेस्ट और 16 वनडे खेल चुके हैं. उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट को सुर्खियों में लाने वाले नस्लवाद प्रकरण के संदर्भ में अपने अनुभव का खुलासा किया. 

पूरी जिंदगी झेला रंग के कारम अपमान

शिवरामकृष्णन ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा कि मैंने अपनी पूरी जिंदगी रंग के कारण भेदभाव और आलोचना का सामना किया है, इसलिये यह मुझे अब परेशान नहीं करता. दुर्भाग्य से यह मेरे अपने देश में हुआ. 

पूर्व लेग स्पिनर उस ट्विटर पोस्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें कमेंटेटरों पर ऑनलाइन ट्रोलिंग का संकेत दिया गया था. शिवरामकृष्णन ही एकमात्र भारतीय खिलाड़ी नहीं हैं जिन्होंने भेदभाव किये जाने के बारे में बात की है.

अभिनिव मुकुंद भी लगा चुके हैं आरोप 

तमिलनाडु के सलामी बल्लेबाज अभिनव मुकुंद ने भी 2017 में सोशल मीडिया पर यह मुद्दा उठाया था. मुकुंद भारत के लिये सात टेस्ट मैच खेल चुके हैं. उन्होंने ट्विटर पेज पर एक बयान पोस्ट किया था, जिसमें लिखा था, ‘‘मैं 15 साल की उम्र से देश के अंदर और बाहर यात्रा करता रहा हूं. जब से मैं युवा था, तब से ही लोगों की मेरी त्वचा के रंग के प्रति सनक मेरे लिये हमेशा रहस्य बनी रही है. ’’ 

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उन्होंने बयान में कहा था, ‘‘जो भी क्रिकेट का अनुसरण करता है, वह इसे समझेगा. मैं धूप में पूरे दिन ट्रेनिंग करता और खेलता रहा हूं और कभी भी एक बार भी मुझे त्वचा के रंग के गहरे (टैन) होने का पछतावा नहीं हुआ है. ’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा इसलिये है क्योंकि मैं जो करता हूं, मुझे वो पसंद है और आउटडोर घंटों के अभ्यास के बाद ही मैं निश्चित चीजों को हासिल करने में सफल हुआ हूं. मैं चेन्नई से हूं जो देश के सबसे गर्म स्थानों में से एक है. ’’ पिछले साल पूर्व भारतीय और कर्नाटक के तेज गेंदाबज डोडा गणेश ने भी नस्लीय भेदभाव के अनुभव के बारे में बताया था.

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