'एक हार जिंदगी नहीं खत्म कर देती, पेरिस ओलंपिक में पूरा होगा सपना'

उन्होंने खुद इसका दर्द बयां करते हुए कहा था कि लोग मेरे साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे मेरी जिंदगी खत्म हो गई है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 14, 2021, 07:04 PM IST
  • बहन के समर्थन में उतरीं गीता फोगाट
  • योगश्वर दत्त ने भी किया बचाव
'एक हार जिंदगी नहीं खत्म कर देती, पेरिस ओलंपिक में पूरा होगा सपना'

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल ने इतिहास का सबसे शानदार प्रदर्शन किया. कई खिलाड़ियों ने उम्मीद से बेहतर खेल दिखाया तो कई दिग्गज खिलाड़ियों ने निराश किया. कुश्ती में सभी देशवासियों को विनेश फोगाट से मेडल की आशा थी लेकिन वे उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाईं. 

स्वदेश वापसी के बाद से विनेश को निशाने पर लिया जा रहा है. उन्होंने खुद इसका दर्द बयां करते हुए कहा था कि लोग मेरे साथ ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे मेरी जिंदगी खत्म हो गई है. एक मेडल नहीं मिला तो सारी उपलब्धियां धरी रह गईं. 

बहन के समर्थन में उतरीं गीता फोगाट

महिला पहलवान गीता फोगाट का मानना है कि विनेश पेरिस ओलंपिक में जोरदार वापसी करेगी. गीता फोगाट ने कहा कि छोटी बहन विनेश जीवन के हर मोड़ पर उतार चढ़ाव है बस बिना रुके बिना थके आगे बढ़ते रहना है ओर किसी चीज़ से घबराने की ज़रूरत नहीं है. हम चैंपियन विनेश फोगाट को दोबारा और भी मज़बूती के साथ रेसलिंग मैट पर देखना चाहते है. पेरिस ओलंपिक तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है. 

योगश्वर दत्त ने भी किया बचाव

लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता योगश्वर दत्त ने विनेश की तारीफ में कहा कि वे आज भी दुनिया की शानदार महिला पहलवान हैं और टोक्यो में वो दिन उनका नहीं था. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमें विनेश की उपलब्धियों का सम्मान करने की जरूरत है.

वह अच्छी पहलवान हैं, लेकिन वो उनका दिन नहीं था. जीतना और हारना खेल का एक भाग है. जब हम जीत हासिल करते हैं तो गलती छुप जाती है जबकि हारने पर अच्छी चीजों को कोई याद नहीं रखता. सभी को यह याद रखना चाहिए कि कोई एथलीट हारना नहीं चाहता. 

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एक पदक खोया और सबकुछ समाप्त- विनेश फोगाट 

हाल ही में एक इंटरव्यू में विनेश फोगाट ने कहा था कि मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं एक सपने में सो रही हूं और कुछ भी शुरू ही नहीं हुआ है. मैं बिल्कुल ब्लैंक हूं. मैं नहीं जानती कि जिंदगी में क्या हो रहा है. पिछले एक हफ्ते से मेरे अंदर इतना कुछ चल रहा है.

ये कहानी दो दिलों और दो दिमागों की है. मैंने कुश्ती को सब कुछ दिया है और अब जाने का सही समय है. लेकिन दूसरी ओर, अगर मैं छोड़ देती हूं और लड़ती नहीं हूं, यह मेरे लिए एक बड़ा नुकसान होगा. 

विनेश ने कहा कि अभी मैं वास्तव में अपने परिवार पर ध्यान देना चाहती हूं. लेकिन बाहर हर कोई मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जैसे मैं मरी हुई चीज हूं. मैं जानती थी कि भारत में आप जितनी तेजी से उठते हैं, उतनी ही तेजी से गिरते हैं. एक पदक खोया और सब कुछ समाप्त हो गया. 

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