नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में भारत को दो पदक मिलने हैं. मीराबाई चानू के बाद लवलिना बोरगेहन ने देश को पदक दिला दिया है. अब सभी की नजरें कमलप्रीत कौर पर टिगक गी हैं क्योंकि चक्का फेंक में उन्होंने फाइनल में जगह बना ली है.
अब 8 फाइनलिस्ट के बीच स्वर्ण, रजत और कांस्य के लिये मुकाबला होगा. चक्का फेंक खिलाड़ी कमलप्रीत कौर ने ओलंपिक में भारत के लिये सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में से एक करते हुए टोक्यो क्वालीफिकेशन दौर में दूसरे स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बना ली है.
जानिये कौन हैं कमलप्रीत कौर
कमलप्रीत कौर पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के बादल गांव की रहने वाली हैं. वह खुद कहती हैं कि वह पढ़ाई में कमजोर थीं जिसके बाद उनके कोच ने उनसे राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने को कहा. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान वे चक्का फेंकने की प्रैक्टिस नहीं कर पा रही थीं और इस निराशा की वजह से उनका ओलंपिक अभियान प्रभावित हो रहा था.
कमलप्रीत कौर ने ऐसे में क्रिकेट खेलने का मन बनीा लिया था. साल 2019 में दोहा में हुए एशियाइ एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में वह पांचवें स्थान पर रहीं थीं. उन्होंने डिस्कस थ्रो में 65 मीटर बाधा पार की और ऐसा करने वाली पहली महिला बनीं. उन्होंने 2019 संस्करण में 60.25 मीटर डिस्कस थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता था.
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने खुद फोन करके कमलप्रीत के पिता को बधाई दी और सभी देशवासी उनके अच्छे प्रदर्शन की आशा कर रहे हैं.
दूसरे नंबर पर रहीं कमलप्रीत कौर
शनिवार को एक अन्य भारतीय एथलीट लंबी कूद खिलाड़ी श्रीशंकर भी फाइनल में जगह बनाने से चूक गये. 25 वर्ष की कमलप्रीत ने चक्का फेंक के अपने तीसरे प्रयास में 64 मीटर का थ्रो फेंका जो क्वालीफिकेशन मार्क भी था. क्वालीफिकेशन में शीर्ष रहने वाली अमेरिका की वालारी आलमैन के अलावा वह 64 मीटर या अधिक का थ्रो लगाने वाली अकेली खिलाड़ी रहीं.
इस स्पर्धा का फाइनल दो अगस्त को होगा. दोनों पूल में 31 खिलाड़ियों में से 64 मीटर का मार्क पार करने वाले या शीर्ष 12 ने क्वालीफाई किया. कमलप्रीत मौजूदा चैम्पियन क्रोएशिया की सैंड्रा पेरकोविच (63.75 मीटर) और विश्व चैम्पियन क्यूबा की येइमे पेरेज (63.18 मीटर) से आगे रही . पेरकोविच तीसरे और पेरेज सातवें स्थान पर रही. सीमा पूनिया पूल ए में 60. 57 के थ्रो के साथ छठे स्थान पर और कुल 16वें स्थान पर रही.
ऐन मौके पर ओलंपिक में जगह बनाने वाली सीमा अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी नहीं दोहरा सकी . सीमा का पहला प्रयास अवैध रहा . दूसरे प्रयास में उन्होंने 60 . 57 और तीसरे में 58 . 93 मीटर का थ्रो फेंका. कमलप्रीत ने पूल बी में पहले प्रयास में 60.29 , दूसरे में 63 . 97 और आखिर में 64 मीटर का थ्रो फेंका. लंबी कूद में श्रीशंकर यहां तोक्यो ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में नाकाम रहे और ओवरऑल 25वें स्थान पर रहते हुए फाइनल की दौड़ से बाहर हो गये. श्रीशंकर ने अपने पहले प्रयास में 7.69 मीटर की छलांग लगायी लेकिन वह दूसरे और तीसरे प्रयास में इससे बेहतर नहीं कर सके. उनका दूसरा प्रयास 7.51 मीटर और तीसरा प्रयास 7.43 मीटर का रहा था.
2 अगस्त को फाइनल
पहले प्रयास में 60.29 मीटर, दूसरे में 63.97 और आखिरी प्रयास में 64 का स्कोर किया. फाइनल में पहुंचने के लिए 64 ही क्वॉलिफिकेशन मार्क था। अब कमलप्रीत दो अगस्त को फाइनल में भारत की तरफ से दावेदारी पेश करेंगी.
वह अपनी हीट (पूल) में 13वें और ओवरऑल 25वें (32 खिलाड़ियों में) स्थान पर रहे. इस स्पर्धा में फाइनल्स के लिए क्वालीफाई करने का मानक 8.15 मीटर या दोनों पूल को मिलाकर शीर्ष के 12 खिलाड़ियों में जगह बनाना जरूरी था.
क्यूबा के जुआन मिगुएल एचेवरिया 8.50 मीटर की छलांग के साथ तालिका में शीर्ष पर रहे. फाइनल में जगह बनाने वाले 12वें एथलीट फिनलैंड के क्रिस्टियन पुली ने 7.96 मीटर की छलांग लगायी थी. श्रीशंकर ने इस साल मार्च में फेडरेशन कप के दौरान 8.26 मीटर की छलांग लगाकर तोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था.
इस साल शानदार फॉर्म में चल रही कमलप्रीत ने चक्का फेंक में दो बार 65 मीटर का आंकड़ा पार किया . उन्होंने मार्च में फेडरेशन कप में 65 . 06 मीटर का थ्रो फेंककर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा . वह 65 मीटर पार करने वाली पहली भारतीय हैं. इसके बाद जून में इंडियन ग्रां प्री 4 में अपना ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड बेहतर करते हुए उन्होंने 66 . 59 मीटर का थ्रो फेंका.
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