Tokyo Olympics 2021: नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने की पूरी कहानी, जानिये यहां

ओलंपिक के इतिहास में अब तक भारत को केवल 9 स्वर्ण पदक ही मिले थे और अब नीरज चोपड़ा ने 10वां गोल्ड मेडल दिला दिया. 

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Aug 7, 2021, 05:43 PM IST
  • जानिये कौन हैं नीरज चोपड़ा
  • नीरज चोपड़ा बचपन में थे मोटापे के शिकार
Tokyo Olympics 2021: नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने की पूरी कहानी, जानिये यहां

नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में हिंदुस्तान को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा पर पूरे देश का नाज है. उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से पूरे देश को ही नहीं दुनिया को रोमांचित कर दिया.

ओलंपिक के इतिहास में अब तक भारत को केवल 9 स्वर्ण पदक ही मिले थे और अब उन्होंने 10वां गोल्ड मेडल दिला दिया. अभिनव बिंद्रा के बाद वे दूसरे भारतीय हैं जिन्होंने एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक दिलाया है. नीरज ने भाला फेंक इवेंट में इतिहास रच दिया और एथलेटिक्स में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने. 

जानिये कौन हैं नीरज चोपड़ा

नीरज चोपड़ा सेना में अधिकारी हैं और उन्होंने पहली बार ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया. वे किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर टोक्यो में भारत का तिरंगा सबसे ऊंचा किया. देश में क्रिकेटरों के अलावा अन्य खिलाड़ियों को उतनी पहचान नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिये लेकिन नीरज चोपड़ा केवल 23 साल की आयु में इतिहास रचकर सभी युवाओं के लिये प्रेरणा बन गये. 

नीरज चोपड़ा बचपन में थे मोटापे के शिकार

24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के खांद्रा गांव में नीरज चोपड़ा का जन्म हुआ था. नीरज चोपड़ा गरीब किसान परिवार से आते हैं. 11 साल की उम्र में ही नीरज मोटापे का शिकार हो गए थे. उनका बढ़ता वजन देख घरवालों ने मोटापे को कम करने के लिए नीरज को खेल-कूद का सहारा लेने की सलाह दी. 

जिसके बाद वो वजन कम करने के लिए पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में जाने लगे. एक आम भारतीय लड़के की तरह उनकी भी पहली पसंद क्रिकेट ही था. लेकिन, स्टेडियम में जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ियों को देखकर उनके मन में आया कि मैं इसे और दूर तक फेंक सकता हूं. यही से नीरज चोपड़ा के मन से क्रिकेट आउट हो गया और जेवलिन थ्रो ने एंट्री की. 

2012 से जीत रहे हैं मेडल

नीरज चोपड़ा अलग अलग प्रतियोगिताओं में पदक जीतते रहे हैं. उन्होंने सबसे पहले 2012 में एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था. 2015 में चीन में हुई एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा 9वें स्थान पर रहे थे लेकिन, 2016 में ही उन्होंने कमाल कर दिया. साउथ एशियन गेम्स में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने एशियन जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया. 

एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता गोल्ड

2016 में ही नीरज चोपड़ा ने IAAF अंडर-20 वर्ल्ड चैंम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था. 86.48 मीटर दूर जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) कर नीरज ने अंडर-20 स्तर पर नया रिकॉर्ड भी बनाया था. 

इसके बाद उन्होंने 2018 के एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था. हालांकि, 2018 का सीजन खत्म होने से पहले हुई IAAF डायमंड लीग में वो पोडियम फिनिश नहीं कर सके. अब नीरज के नाम एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई है. नीरज ने 13 साल बाद टोक्यो ओलंपिक में भारत को इकलौता स्वर्ण पदक दिलाया. 

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क्वालीफिकेशन राउंड में ही रख दी थी गोल्ड की नींव

टोक्यो ओलंपिक में नीरज ने क्वालीफिकेशन में जिस तरह का प्रदर्शन किया और वह ग्रुप ए में पहले स्थान पर रहे थे, उसके बाद उनसे सोना लाने की संभावना बढ़ गई है.

23 वर्षीय नीरज ने ओलंपिक स्टेडियम में, ग्रुप ए क्वालीफिकेशन राउंड के अपने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो फेंक 83.50 मीटर के ऑटोमेटिक क्वालीफाइंग अंक को हासिल किया था तथा फाइनल में पदक के प्रबल दावेदार के रूप में उभरे. नीरज ने जर्मनी के जोहानेस वेटेर को पीछे छोड़ा था जो स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. 

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