नई दिल्ली: टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वे ओलंपिक में भारत की ओर से पदक जीतने वाले पहले एथलेटिक्स हैं. उन्होंने ऐतिहासिक जीत के बाद जो बात कही वो हर देशवासी और सभी युवाओं को जरूर सुनना चाहिये.
चोट लगने के बाद आईं कई चुनौतियां
नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल जीतने के बाद कहा कि 2-3 अंतर्राष्ट्रीय कंपटीशन मिले वे मेरे लिए जरूरी थे. इसी वजह से मैं कंपटीशन खेला. ओलंपिक था लेकिन दबाव नहीं था कि मैं बड़े थ्रोअर्स के बीच खेल रहा हूं. लग रहा था कि इनके साथ मैं पहले खेला हूं.मैं अपनी परफॉर्मेंस पर काफी फोकस कर पा रहा था.चोट लगने के बाद काफी उतार चढ़ाव आए.आप सभी ने मदद की. मेरी मेहनत तो है ही साथ-साथ आप सभी की भी मेहनत है.सभी सुविधाओं के लिए धन्यवाद.
उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि AFI खासकर एथलेटिक्स और जैवलिन को और बढ़ावा दे क्योंकि मुझे लगता है कि भारत में बहुत प्रतिभा है.वे धीरे-धीरे सामने आएंगे. ओलंपिक में और अच्छा कर सकते हैं.मुझे लग रहा है कि हम कुछ भी कर सकते हैं.
मेडल जीतना ही था लक्ष्य
नीरज चोपड़ा ने कहा कि पहला थ्रो अगर हम अच्छा कर लें तो खुद पर भी कॉन्फिडेंस आ जाता है और दूसरे एथलीट पर दबाव हो जाता है.सेकेंड थ्रो भी काफी स्टेबल थी. कहीं न कहीं मेरे दिमाग में आया कि ओलंपिक रिकॉर्ड के लिए कोशिश करता हूं.अब 90 मीटर के मार्क को हासिल करना है.
ये तो था ही कि मेडल लेकर आना है लेकिन जिस समय फील्ड में होता हूं दिमाग में इधर-उधर की बातें नहीं आतीं.मैं पूरा फोकस इवेंट पर ही करता हूं. रनवे पर खड़ा होता हूं तो मेरा पूरा फोकस थ्रो पर होता है और मैं अपना थ्रो सही से कर पाता हूं.
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