खिलाड़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनकर जीवित रहेंगे चरणजीत सिंह, हिंदुस्तान को जिताए कई ओलंपिक मेडल

चरणजीत अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 27, 2022, 05:39 PM IST
  • हॉकी के गौरवशाली अतीत के साक्षी थे चरणजीत
  • अपनी कप्तानी में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल
खिलाड़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा बनकर जीवित रहेंगे चरणजीत सिंह, हिंदुस्तान को जिताए कई ओलंपिक मेडल

नई दिल्ली: भारत की 1964 टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे.

91 साल के थे चरणजीत

चरणजीत अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे. उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है. पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे. 

उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया कि पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे. वह छड़ी से चलते थे लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई. उन्होंने सुबह अंतिम सांस ली. 

अपनी कप्तानी में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल

ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे. इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे.

चरणजीत के बेटे ने कहा कि मेरी बहन के दिल्ली से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा.  

चरणजीत की पत्नी का 12 वर्ष पहले निधन हो गया था. उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ था. उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रहती है. दो बार के ओलंपियन चरणजीत भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों के साक्षी थे. 

हॉकी के गौरवशाली अतीत के साक्षी थे चरणजीत

करिश्माई हाफ बैक चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता. वह देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल और पंजाब यूनिवर्सिटी से पढे. 

अंतरराष्ट्रीय हॉकी में सुनहरे कैरियर को अलविदा कहने के बाद वह शिमला में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक भी रहे. वह 1960 ओलंपिक में भारत के शानदार प्रदर्शन के नायकों में से रहे लेकिन चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके जो भारत एक गोल से हार गया था. 

इसके चार साल बाद उनकी कप्तानी में टीम ने बदला चुकता करके पीला तमगा जीता. उन्होंने हॉकी इंडिया फ्लैशबैक सीरिज में कहा था ,‘‘ दोनों टीमें उस समय की सबसे मजबूत टीमें थी. 

ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना काफी तनावपूर्ण था और दोनों टीमों के सदस्यों का दिमाग ठंडा करने के लिये मैच कई बार रोका गया. 

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उन्होंने कहा था ,‘‘ मैने अपने लड़कों से कहा कि उनसे बात करने की बजाय अपने खेल पर फोकस करो. हमारे सामने कठिन चुनौती थी लेकिन हम खरे उतरे और स्वर्ण पदक के साथ लौटे.’’ 

हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया. हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा कि हॉकी जगत के लिये यह दुखद दिन.  उम्र के इस पड़ाव पर भी हॉकी का जिक्र आने पर उनकी आंखों में चमक आ जाती थी. उन्हें भारतीय हॉकी के उन गौरवशाली दिनों की हर याद ताजा थी जिनका वह हिस्सा रहे थे.

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