कुदरती खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहनीय पहल

देश में खेती के क्षेत्र में सुधार की बेहद सख्त जरुरत महसूस की जा रही है. बिना रासायनिक खाद के कुदरती खेती को बढ़ावा देने के लिए इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. वह कुदरती खेती से पैदा हुई फसल को खुद ही खरीदेगी.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 14, 2019, 06:07 AM IST
    • रासायनिक खाद के कुदरती खेती को बढ़ावा देने की पहल
    • उत्तराखंड सरकार ने ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ाने की तैयारी की
कुदरती खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार की सराहनीय पहल

देहरादून: रासायनिक खाद की वजह से बेहाल जमीन को प्राकृतिक उपायों से समृद्ध बनाया जा सकता है. लेकिन इसमें शुरुआत में काफी समस्याएं होती हैं. क्योंकि रासायनिक खादों से ठोस हुई धरती की उपरी परत को गोबर और पत्तों की खाद से मुलायम  बनाना कठिन होता है. लेकिन बाद में इसके अच्छे परिणाम सामने आते हैं. लेकिन किसानों को रासायनिक उर्वरक से हटाकर कुदरती उपायों से खेती करने के लिए प्रेरित करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने खुद ही ग्राहक बनने का फैसला किया है.

किसान से ऑर्गेनिक प्रोडक्ट खरीदेगी सरकार

उत्तराखंड सरकार राज्य के प्राकृतिक वातावरण को ध्यान में रखते हुए ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए पहले चरण में राज्य के 8 ब्लॉक चुने गए हैं. यहां पूरी तरह कुदरती तरीके से खेती की जाएगी. इन ब्लॉक्स में कीटनाशक या किसी भी तरह की रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा. त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने बुधवार को यह महत्वपूर्ण फैसला किया है. 

ज्यादा कीमत पर बिकते हैं ऑर्गेनिक उत्पाद

उत्तराखंड सरकार का उद्देश्य किसानों की आमदनी को बढ़ाना भी है. सरकार चाहती है कि किसान पूरी तरीके से ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार करें ताकि उसकी ज्यादा से ज्यादा कीमत बड़े बाजारों में मिल पाए. ऑर्गेनिक उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार आने वाले समय में किसानों से उसके सभी ऑर्गेनिक उत्पाद सीधा खरीदने जा रही है. इसके लिए उत्तराखंड कृषि मंडी परिषद को अधिकृत किया गया है.  राज्य सरकार ने इसके लिए एक रिवाल्विंग फंड की भी व्यवस्था की है. जिसके साथ कृषि मंडियों से भी किसानों के उत्पाद सीधे खरीदे जा सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऑर्गेनिक उत्पाद की ज्यादा मांग

उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सामान्य उत्पादों के मुकाबले ऑर्गेनिक उत्पादों की कीमत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कई गुना तक मिल सकती है. उत्तराखंड में पहले से ही जैविक खेती होती रही है. अगर इसका प्रमाणीकरण भी हो जाए तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्तराखंड के पारंपरिक उत्पादों को आसानी से ऊंची कीमत पर बेचा जा सकता है.

क्या है ऑर्गेनिक या जैविक खेती?

ऑर्गेनिक या जैविक खेती कृषि की वह पद्धति है, जिसमें स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन बनाये रखते हुए, मृदा, जल एवं वायु को दूषित किये बिना दीर्घकालीन और स्थिर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.  इसमें मिट्टी को एक जीवित माध्यम माना जाता है, जिसमें सूक्ष्म जीवों जैसे- रायजोवियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरियम, माइकोराइजा एवं अन्य जीव जो मिट्टी में उपस्थित रहते हैं, उनकी जैविक क्रियाओं को बढ़ाने और दोहन करने के लिए कार्बनिक तथा प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है. 

ऑर्गेनिक या जैविक खेती से जमीन का जीवन बढ़ता है

1. मृदा स्वास्थ्य को बनाये रखना
2. पर्याप्त मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाला खाद्यान्न पैदा करना
3. मिट्टी की दीर्घकालीन उर्वरता को बनाए रखना एवं उसे बढ़ाना
4. खेती में सूक्ष्म जीव, मृदा पादप और अन्य जीवों के जैविक चक्र को प्रोत्साहित करना तथा बढ़ाना
5. रसायनिक उर्वरकों और रसायनिक दवाओं के दुष्परिणाम को रोकना
6. कृषि पद्धति तथा उसके आसपास में अनुवांशिक कृषि विविधता को बनाये रखना

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जैविक प्रमाणीकरण क्यों कहा कैसे ?

जैविक या ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. बाजार में जैविक उत्पाद की उचित कीमत प्राप्त करने के लिये इसका प्रमाणीकरण करना आवश्यक है. जैविक प्रमाणीकरण का कार्य भारत के अलग अलग राज्यों में जैविक प्रमाणीकरण संस्था द्वारा निर्धारित शुल्क देकर नियमों का परिचालन कर कोई भी किसान पंजीयन कर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है. विकास खण्ड स्तर पर वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय से उक्त प्रक्रिया की विस्तार पूर्वक जानकारी ली जा सकती है और बहुत से राज्यों में जैविक खेती के लिए अनुदान का भी प्रावधान है.

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