अगर कुंडली में इस ग्रह की दशा है खराब तो इन बीमारियों का करना पड़ सकता है सामना

आज हम जानते हैं कि जन्म कुंडली में किस ग्रह के खराब होने से मनुष्य को कौन-कौन सी शारीरिक-मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 23, 2022, 07:22 AM IST
  • जन्म कुंडली में किस ग्रह का क्या असर?
  • बीमारियों का करना पड़ता है सामना
अगर कुंडली में इस ग्रह की दशा है खराब तो इन बीमारियों का करना पड़ सकता है सामना

नई दिल्ली: आज हम जानते हैं कि जन्म कुंडली में किस ग्रह के खराब होने से मनुष्य को कौन-कौन सी शारीरिक-मानसिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है. ग्रहों के गड़बड़ होने वाली बीमारियों के बारे में बता रहे हैं आचार्य विक्रमदित्य

सूर्य की बीमारी-

- व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है.
- दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है.
- सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है.
- मुंह में थूक बना रहता है.
- दिल का रोग हो जाता है, जैसे धड़कन का कम-ज्यादा होना.
- मुंह और दांतों में तकलीफ हो जाती है.
- बेहोशी का रोग हो जाता है.
- सिरदर्द बना रहता है.

चंद्र ग्रह से होती यह बीमारी-

- चंद्र में मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है.
- मिर्गी का रोग.
- पागलपन.
- बेहोशी.
- फेफड़े संबंधी रोग.
- मासिक धर्म गड़बड़ाना.
- स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है.
- मानसिक तनाव और मन में घबराहट.
- तरह-तरह की शंका और अनिश्चित भय.
- सर्दी-जुकाम बना रहता है.
- व्यक्ति के मन में आत्महत्या करने के विचार बार-बार आते रहते हैं.

मंगल देता यह बीमारी-

- नेत्र रोग.
- उच्च रक्तचाप.
- वात रोग.
- गठिया रोग.
- फोड़े-फुंसी होते हैं.
- जख्मी या चोट.
- बार-बार बुखार आता रहता है.
- शरीर में कंपन होता रहता है.
- गुर्दे में पथरी हो जाती है.
- आदमी की शारीरिक ताकत कम हो जाती है.
- एक आंख से दिखना बंद हो सकता है.
- शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं.
-मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होती है. रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है.

बुध ग्रह की बीमारी-

- तुतलाहट/ हकलाहट
- सूंघने की शक्ति क्षीण हो जाती है.
- समय पूर्व ही दांतों का खराब होना.
- मित्र से संबंधों का बिगड़ना.
- अशुभ हो तो बहन, बुआ और मौसी पर विपत्ति आना.
- नौकरी या व्यापार में नुकसान होना.
- ’व्यर्थ की बदनामी होती है.
- हमेशा घूमते रहना, ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में.
- कोने का अकेला मकान जिसके आसपास किसी का मकान न हो.

गुरु की बीमारी-

- गुरु के बुरे प्रभाव से धरती की आबोहवा बदल जाती है. उसी प्रकार व्यक्ति के शरीर की हवा भी बुरा प्रभाव देने लगती है.
- ’इससे श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द आदि होने लगता है.
- कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द भी होने लगता है.
- इसके अलावा गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ युति अनुसार भी बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी आदि.

शुक्र की बीमारी-

- घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को वास्तु अनुसार ठीक करवाएं.
- शरीर में गाल, ठुड्डी और नसों से शुक्र का संबंध माना जाता है.
- शुक्र के खराब होने से वीर्य की कमी भी हो जाती है. इससे किसी भी प्रकार का यौन रोग हो सकता है या व्यक्ति में कामेच्छा समाप्त हो जाती है.
- लगातार अंगूठे में दर्द का रहना या बिना रोग के ही अंगूठे का बेकार हो जाना शुक्र के खराब होने की निशानी है.
-  शुक्र के खराब होने से शरीर में त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होने लगते हैं.
- अंतड़ियों के रोग.
- गुर्दे का दर्द
- पांव में तकलीफ आदि.

शनि की बीमारी-

- शनि का संबंध मुख्घ्य रूप से दृष्टि, बाल, भवें और कनपटी से होता है.
- समय पूर्व आंखें कमजोर होने लगती हैं और भवों के बाल झड़ जाते हैं.
- कनपटी की नसों में दर्द बना रहता है.
- समय पूर्व ही सिर के बाल झड़ जाते हैं.
- फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं और तब सांस लेने में तकलीफ होती है.
- हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, तब जोड़ों का दर्द भी पैदा हो जाता है.
- रक्त की कमी और रक्त में बदबू बढ़ जाती है.
- पेट संबंधी रोग या पेट का फूलना.
- सिर की नसों में तनाव.
- अनावश्यक चिंता और घबराहट बढ़ जाती है.

राहु की बीमारी-
-  गैस प्रॉब्लम.
-  बाल झड़ना
-  उदर रोग.
- बवासीर.
- पागलपन.
- राजयक्ष्मा रोग.
-  निरंतर मानसिक तनाव बना रहेगा.
- नाखून अपने आप ही टूटने लगते हैं.
- मस्तिष्क में पीड़ा और दर्द बना रहता है.
-  राहु व्यक्ति को पागलखाने, दवाखाने या जेलखाने भेज सकता है.
-  राहु अचानक से भी कोई बड़ी बीमारी पैदा कर देता है और व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है.

केतु की बीमारी-

- पेशाब की बीमारी.
- संतान उत्पति में रुकावट.
- सिर के बाल झड़ जाते हैं.
- शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है.
- केतु के अशुभ प्रभाव से चर्म रोग होता है.
- कान खराब हो जाता है या सुनने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है.
- कान, रीढ़, घुटने, लिंग, जोड़ आदि में समस्या उत्पन्न हो जाती है.

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