सरसों तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा देश, 'मस्टर्ड मिशन' की शुरुआत

देश को खाने के तेल (edible oil production) के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से सरसों उत्पादन बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसके तहत अगले पांच साल में देश में सरसों का उत्पादन (Mustard production) बढ़ाकर 200 लाख टन करने का लक्ष्य रखा है.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 27, 2020, 08:32 PM IST
    • खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन की शुरुआत
    • मस्टर्ड मिशन शुरु किया जाएगा
    • सरसो तेल उत्पादन बढ़ाने की कवायद
सरसों तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा देश, 'मस्टर्ड मिशन' की शुरुआत

नई दिल्ली: सरसों उत्पादन (Mustard production) के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्स्ट्रक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ऑफ इंडिया ने मिशन मोड में काम करने का फैसला लिया है.   

'मस्टर्ड मिशन' की शुरुआत
SEA ने इसके लिए 'मस्टर्ड मिशन' नाम से एक परियोजना शुरू की है, जिसका पायलट प्रोजेक्ट देश के प्रमुख सरसों उत्पादक राज्य राजस्थान (Rajasthan) के कोटा और बूंदी में शुरू किया गया है, जहां 2,500 किसानों को शामिल कर 100 मॉडल फार्म तैयार किए जाएंगे.

SEA के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. बीवी मेहता ने कहा कि सरसों देश की प्रमुख तिलहन फसल है और खाद्य तेल के रूप में सरसों के तेल का उपयोग काफी होता है, लिहाजा सरसों का उत्पादन बढ़ाकर देश को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाना घरेलू उद्योग का लक्ष्य है.

विदेशी विशेषज्ञता की ली जाएगी मदद
'मस्टर्ड मिशन' के लिए नीदरलैंड की एक गैर-सरकारी संस्था सॉलिडरीडाड के अनुभव का उपयोग किया जाएगा. मस्टर्ड मिशन में यह संस्था सहयोगी की भूमिका निभा रही है.

देश में बीते कुछ महीनों से खाने के तेल की महंगाई को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ) की तैयारी तेज कर दी है. कुछ समय पहले केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार जल्द ही राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन लांच करने वाली है.

खाद्य तेलों का आयात होगा कम
भारत खाने के तेल की अपनी जरूरतों का तकरीबन 70 फीसदी आयात करता है, जिसमें पाम तेल का आयात सबसे ज्यादा होता है. 

पाम तेल के सबसे बड़े उत्पादक इंडोनेशिया और मलेशिया में बायोडीजल कार्यक्रम में पाम तेल की खपत बढ़ने से भारत में इसका आयात महंगा हो गया है, जिसके कारण तमाम खाद्य तेलों के दाम में बीते कुछ महीने में काफी वृद्धि हुई है.

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