नई दिल्ली: Independence day 2021: 15 August की तारीख नजदीक आने के साथ ही देशभर में उत्साह की लहर है. Corona संक्रमण के कारण स्कूल-कॉलेज में हर साल की तरह कार्यक्रम होने की स्थिति नहीं है, लेकिन कई स्कूलों ने Online चल रही कक्षाओं में बच्चों के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी की है.
ऐसे तैयार करें निबंध
इस दौरान हो सकता है कि आपको आजादी के इस उत्सव के लिए कोई निबंध लिखना पड़े. Essay Writing की प्रतियोगिता को लेकर भी बच्चे बहुत उत्साहित रहते हैं. अगर किसी कारणवश आप अभी तक Essay लिखने की तैयारी नहीं कर पाए हैं, तो कुछ जरूरी चीजों को ध्यान में रखकर आप कम समय में भी एक अच्छा निबंध तैयार कर सकते हैं.
राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है 15 अगस्त
15 अगस्त का दिन भारतीयों के लिए सबसे खास है, 15 अगस्त 1947 से पहले के लोगों ने जो समय देखा उनको भी सलाम है, खासकर उन स्वतंत्रता सेनानियों को कोटि-कोटि नमन जिन्होंने भारत को फिर से अखंड भारत बनाने के लिए प्राण न्योछावर कर दिए थे.
आजाद भारत की कमान पहले प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरु ने संभाली. उन्होंने देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा फहराया था और तबसे हर साल 15 अगस्त को यह सिलसिला चलता आ रहा है, स्वतंत्रता दिवस (Independence Day 2021) के रूप में यह दिन राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.
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200 साल की गुलामी का दौर
15 अगस्त 1947 की तारीख हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हुई लेकिन इसके पीछे का मार्ग बड़ा कठिन रहा था. 200 साल हमारा मुल्क अंग्रेजों के गुलाम रहा, इस दौरान देश में कई विद्रोहियों व सेनानियों व आंदोलनकारियों ने जन्म लिया और अंग्रेजों को ब्रिटेन वापस जाने के लिए मजबूर किया था.
अंग्रेजों ने किया हमारा दमन
किसी समय में भारत को सोने की चिड़िया का जाता था, यह देश भरपूर संपन्न तो था लेकिन मानो यहां की हवा पर तक हुकूमत अंग्रेजों की थी. जमीन, खेती, अनाज, धन आदि पर अंग्रेजों ने हक जमाया था, इस बीच उनके कई क्रूर शासक आए जिन्होंने देश के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया था, वे बंधुआ मजदूरों की तरह लोगों से काम लेते व खेती कराते थे और फिर मनमाना लगान तक वसूल करते थे.
अंग्रेजों ने किया जलियांवाला बाग हत्याकांड
देश के गुलाम लोग जब भी अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन करते थे या गलत का विरोध करते थे तो वे ऐसा सबक सिखाते थे कि लोगों की हिम्मत पूरी तरह टूट जाए, और फिर कोई कभी उनके विरोध में उठ न पाए, जलियांवाला बाग नरसंहार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.
कइयों ने लड़ी आजादी की लड़ाई
आजादी की लड़ाई कइयों ने लड़ी, किसी का नाम इतिहास में है तो किसी का नहीं. खास नामों की बात करें तो इनमें रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुखदेव, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे, सरदार बल्लभ भाई पटेल, राजगुरु, मौलाना अबुल कलाम आजाद सहित कई नाम शामिल हैं. लेकिन जिनके नाम याद नहीं रह पाए, इस देश को आजाद कराने में उनकी भी शहादत को नमन है.
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