नई दिल्ली: स्वदेशी फ़ाइटर जेट LCA तेजस ने शनिवार को एयरक्राफ्ट कैरियर INS VIKRAMADITYA के डेक पर पहली लैंडिंग करके एक बड़ा पड़ाव तय कर लिया है. तेजस ने विक्रमादित्य के डेक पर अरैस्टेड लैंडिंग की.
तेजस के नौसैनिक रुप का था परीक्षण
तेजस वायुसेना में शामिल हो चुका है और इसकी पहली स्क्वाड्रन FLYING DAGGERS कोयंबटूर में तैनात हो चुकी है. ये आज जो टेस्ट हुआ वह तेजस का नौसैनिक अवतार का था. INS विक्रमादित्य इस समय अरब सागर में तैनात है.
The Naval Light Combat Aircraft which made its first successful landing on the aircraft carrier INS Vikramaditya. The Defence Research and Development Organisation (DRDO)-developed fighter aircraft is expected to attempt its maiden take off from the carrier soon. pic.twitter.com/HPPSgT2hgE
— ANI (@ANI) January 11, 2020
आसान नहीं जेट के नौसैनिक अवतार की लैंडिंग
शनिवार सुबह कोमोडोर जयदीप मावलंकर ने 10.02 बजे तेजस को एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक पर अरेस्टर वायर के ज़रिए क़ामयाबी से लैंड कराया. इससे पहले पिछले साल 13 सितंबर को तेजस को गोवा नौसैनिक एयरबेस INS HANSA पर बनाई गई SHORE BASED TEST FACILITY(SBTF) में क़ामयाबी से उतारा जा चुका है.
किसी फ़ाइटर का नौसैनिक अवतार अपने असली अवतार से अलग होता है. उसे हर बार किसी एयरस्ट्रिप की बजाए एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक पर उतरना पड़ता है जो बहुत छोटा होता. इसे डेक पर झटके के साथ उतारा जाता है और उसके बाद अरेस्टर वायर से इसके हुक को अटकाकर झटके से रोका जाता है. आम एयरक्राफ्ट को नौसैनिक अवतार में बदलना काफी चुनौतीपूर्ण होता है.
'तेजस' की असली जगह स्वदेशी INS VIKRANT पर
तेजस को INS VIKRAMADITYA के डेक उतारा गया. जहां से रूस से आयातित MIG 29(K) फ़ाइटर एयरक्राफ्ट उड़ान भरते हैं. तेजस को भी भविष्य में इसपर तैनात किया जा सकता है. लेकिन तेजस की असली जगह पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS VIKRANT पर होगी, जो अभी अपने निर्माण के आखिरी चरण में है.
विक्रांत का बनना 2009 में शुरू हुआ था और 2013 में इसे समुद्र में उतारा गया. इसके समुद्री परीक्षण अगले साल शुरू होने की संभावना है और 2022 तक इसके भारतीय नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है. विक्रांत में 30 फ़ाइटर जेट और 10 हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं.