गोबर बेचकर खरीदा लैपटॉप, इस योजना से लोग कर रहे हजारों की कमाई

कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई में रुकावट आई तो छत्तीसगढ़ के एक किसान ने गोबर बेचकर लैपटॉप खरीदा ताकि बच्चे ऑनलाइन क्लास के जरिये अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 7, 2021, 01:05 PM IST
  • गोबर बेचकर बच्चों के लिए खरीदा लैपटॉप
  • गोबर बेचकर छुड़वाई गिरवी जमीन
गोबर बेचकर खरीदा लैपटॉप, इस योजना से लोग कर रहे हजारों की कमाई

रायपुर: गोबर से भी अच्छी आमदनी हो सकती है. इस आमदनी से बच्चों का भविष्य संवारने में मदद मिल सकती है, यह सुनने में थोड़ा अचरज होगा, मगर छत्तीसगढ़ में ऐसा संभव हो रहा है. आर्थिक तौर पर कमजोर परिवारों के मुखिया गोबर से होने वाली आमदनी से बच्चों केा पढ़ाई से अन्य सुविधाओं केा बेहतर बनाने में जुट गए है.

गोबर बेचकर बच्चों के लिए खरीदा लैपटॉप

कोरोना काल में स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई में रुकावट आई तो छत्तीसगढ़ के एक किसान ने गोबर बेचकर लैपटॉप खरीदा ताकि बच्चे ऑनलाइन क्लास के जरिये अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. 

वहीं, किसी ने गोठान से कमाई कर नर्सिंग की फीस अदा की, तो किसी ने घर बनवाया और किसी ने गिरवी जमीन छुड़वाई. छत्तीसगढ़ में लागू गोधन न्याय योजना के जरिए ऐसे कई किसानों और ग्रामीणों को मदद मिल रही है.

पाटन ब्लॉक के सेलूद गाँव निवासी रमेश कश्यप ने बताया कि उसके दो बेटे हैं. एक बेटा कक्षा 11वीं, और दूसरा कक्षा आठवीं में था. कोरोना काल में स्कूल बंद थे और शिक्षक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे थे. ऑनलाइन पढाई के लिए घर में सुविधा नहीं थी. पढ़ाई के प्रति बच्चों कि लगन देख उन्होने तय कर लिया कि गोबर बेचने से जो भी आमदनी होगी उसका उपयोग बच्चों कि पढ़ाई में करेंगे.

उन्होंने बताया कि अगस्त 2020 से लेकर जनवरी 2021 तक गोधन न्याय योजना में गोबर का विक्रय किया इस अवधि में गोबर बेचकर 49,650 रुपए कमाए. सरकार द्वारा गोबर बेचने की राशि उसके बैंक खाते में डाली गयी. गोधन न्याय योजना से मिली राशि का उपयोग बच्चों के लिए लैपटॉप खरीदने में किया.

दुवासा बाई यादव शिवतराई गाँव में अपना नया घर बनवा चुकी हैं. उन्होंने इस घर में उन पैसों को लगाया है, जिसे उन्होंने गौठानों से कमाया है. दुवासा गाँव के गौठान में काम करती है, उन्होंने पिछले एक साल में 46 हजार रुपये से ज्यादा की कमाई की है. इन पैसों से उन्होने गाँव में अपना घर बनवाया है और अब वे दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गयी है.

गोबर बेचकर छुड़वाई गिरवी जमीन

गौठान में काम करने वाली जलेयवरी बताती हैं कि उन्होने एक साल में तीस हजार रुपये कमाए हैं. वे अपने खाली समय में गौठानों की गतिविधियों में शामिल रही हैं. वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री से उन्हें समूह के माध्यम से 30 हजार रुपए तक मिले. इससे उन्होने एक मोबाइल खरीदा और अपनी नर्सिंग की पढ़ाई की फीस अदा की.

रंभा मरावी के किसान पति हादसे में घायल हो गए थे. ऑपरेशन के लिए इन्होंने गाँव के किसान के पास अपनी जमीन को गिरवी रखकर डेढ़ लाख रुपये उधार लिए थे. इनको गोधन न्याय योजना के बारे में पता चला और इन्होंने करीब 51 हजार रुपए का गोबर बेचकर अपनी आधी जमीन गिरवी से छुड़ा ली.

ज्ञात हो कि हरेली के मौके पर 20 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गयी जो कि किसानों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का साधन बन गया है. इस योजना से किसानों और पशुपालकों के जीवन में नई आशा का संचार हुआ है.

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