नई दिल्लीः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने विश्वविद्यालयों में सहायक प्रोफेसरों (Assistant Professor) की सीधी भर्ती के लिए योग्यता के रूप में PHD की अनिवार्यता को लेकर तिथि आगे बढ़ा दी है. यूजीसी के मुताबिक, अब सहायक प्रोफेसर की नौकरी के लिए पीएचडी साल 2023 से अनिवार्य होगी. यह फैसला कोविड-19 महामारी (Covid-19) के मद्देनजर लिया गया है.
1 जुलाई 2021 से लागू होना था नियम
यूजीसी की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, ‘‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के विभागों में सहायक प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए योग्यता के रूप में पीएचडी की अनिवार्यता के संबंध में तारीख को एक जुलाई 2021 से बढ़ाकर एक जुलाई 2023 करने का निर्णय लिया है.’’
डूटा ने फैसले का किया स्वागत
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन (डूटा) ने इस फैसले का स्वागत किया है. डूटा अध्यक्ष राजीव राय ने कहा कि यह फैसला विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में तदर्थ शिक्षकों के लिए बड़ी राहत है.
DU में 251 पदों पर हैं रिक्तियां
दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने 251 पदों पर रिक्तियों का विज्ञापन दिया है. डूटा की कोषाध्यक्ष आभा देव हबीब ने कहा कि शिक्षकों के निकाय ने नियुक्ति और पदोन्नति से संबंधित उन सभी खंडों में छूट का आह्वान किया था, जहां पीएचडी को अनिवार्य कर दिया गया था.
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कैंडिडेट कर रहे थे राहत की मांग
बता दें कि कोरोना महामारी के चलते कई कैंडिडेट अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर पाए थे. ऐसे में वे सरकार से इस साल पीएचडी की अनिवार्यता को लेकर बनाए गए नियम में छूट की मांग कर रहे थे.
यूजीसी ने बनाया था नियम
दरअसल, साल 2018 में यूजीसी ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश स्तर के पदों की भर्ती के लिए मानदंड निर्धारित किए थे. तब उम्मीदवारों को अपनी पीएचडी पूरी करने के लिए तीन साल का समय दिया गया था. साथ ही सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 2021-22 शैक्षणिक सत्र से भर्ती के मानदंडों को लागू करना शुरू करने के लिए कहा गया था.
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