UPSC Aspirants ने कोरोना के चलते आयु सीमा में छूट की रखी मांग, राज्यसभा में उठा मुद्दा

राज्यसभा में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य फौजिया खान ने कहा कि महामारी के दौरान जो छात्र वर्ष 2020 में उम्र के प्रतिबंधों के कारण सिविल सेवा परीक्षा से चूक गए उन्हें दो वर्षों की छूट दी जानी चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 4, 2021, 04:15 PM IST
  • अभ्यर्थियों ने रखी आयु सीमा में दो वर्ष छूट की मांग
  • राज्यसभा में उठा जनजातीय वर्ग के छात्रों की शिक्षा का मुद्दा
UPSC Aspirants ने कोरोना के चलते आयु सीमा में छूट की रखी मांग, राज्यसभा में उठा मुद्दा

नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य फौजिया खान ने शुक्रवार को राज्यसभा में कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सिविस सेवा अभ्यर्थियों को उम्र में छूट दिए जाने का मुद्दा उठाया.

अभ्यर्थियों ने रखी आयु सीमा में दो वर्ष छूट की मांग

उच्च सदन में विशेष उल्लेख के जरिए इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि महामारी के दौरान जो छात्र वर्ष 2020 में उम्र के प्रतिबंधों के कारण सिविल सेवा परीक्षा से चूक गए उन्हें दो वर्षों की छूट दी जानी चाहिए और जो 2020 में परीक्षा दे चुके हैं उन्हें भी दो और मौके दिए जाने चाहिए.

अपनी मांगों को रखते हुए उन्होंने कहा, ‘‘देश वर्ष 2020 की शुरुआत से कोविड महामारी के दौर से गुजर रहा है. इस महामारी के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों से लाखों लोगों को सामाजिक आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य और खराब मानसिक अवस्था से गुजरना पड़ा है.’’

भारतीय जनता पार्टी के किरोड़ी लाल मीणा ने विशेष उल्लेख के जरिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाए जाने की मांग की.

भाजपा के ही अजय प्रताप सिंह ने मध्य प्रदेश में रेत की कीमतों में वृद्धि का मामला उइाया और इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उइाने की मांग की.

राज्यसभा में उठा जनजातीय वर्ग के छात्रों की शिक्षा का मुद्दा

बीजू जनता दल के सुजीत कुमार ने ओड़िशा के कालाहांडी, बलंगीर ओर कोरापुट क्षेत्र में खराब मोबाइल नेटवर्क की समस्या से सदन को अवगत कराया और कहा कि इससे जनजातीय वर्ग के छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.

उन्होंने इस दिशा में सरकार से कदम उठने की मांग की.

भाजपा के राकेश सिन्हा ने आजादी के आंदोलन में महतवपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेखकों, पत्रकारों, अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं को आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर पहचान देने की मांग उठाई.

उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘ऐसे लोगों और पत्र-पत्रिकाओं के बारे में जिन्होंने आजादी के आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई उसके बारे में युवा पीढ़ी को बताने के लिए मोनोग्राफ प्रकाशित करने व छोटे संग्रहालय बनाए जाने पर विचार किया जा सकता है.’’

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