एक कुर्सी कई दावेदारी,2019 को लेकर विपक्षियों की क्या है तैयारी?

सत्ता ही सियासत का आखिरी सत्य है. बिना सत्ता के हालत जल बिन मछली जैसी हो जाती है इसलिए सभी पार्टियों की तरफ से कुर्सी के करीब पहुंचने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है. आखिर कुर्सी वैलेंटाइन जो ठहरी. कुर्सी प्रेम, सारी सियासी कड़वाहट पर भारी है तभी तो विरोधियों की गजब की तैयारी है. तभी तो अखिलेश यादव और मायावती एक साथ नजर आ रहे हैं और लखनऊ से होकर दिल्ली पहुंचने का प्लान बना रहे हैं

सत्ता ही सियासत का आखिरी सत्य है. बिना सत्ता के हालत जल बिन मछली जैसी हो जाती है इसलिए सभी पार्टियों की तरफ से कुर्सी के करीब पहुंचने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जा रही है. आखिर कुर्सी वैलेंटाइन जो ठहरी. कुर्सी प्रेम, सारी सियासी कड़वाहट पर भारी है तभी तो विरोधियों की गजब की तैयारी है. तभी तो अखिलेश यादव और मायावती एक साथ नजर आ रहे हैं और लखनऊ से होकर दिल्ली पहुंचने का प्लान बना रहे हैं

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