देश में हर दिन आग से जुड़े हादसों में हो रही 35 लोगों की मौत, आंकड़े हैरान करने वाले

दिल्ली के मुंडका में हुए अग्निकांड में अब तक 27 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. वहीं, संजय गाँधी अस्पताल के बाहर लोगों की भारी भीड़ जुटी हुई है. किसी की आँखों में आंसू हैं तो किसी की आंखों में अपने परिजन के जिंदा होने की उम्मीदें. इस अग्निकांड का सबसे भयावह सच यह है कि इसमें अभी भी कई लोग लापता है, जिनके बारे में यह भी नहीं पता कि उनकी इस हादसे में मौत हो चुकी है या वे अभी भी जिंदा हैं. लेकिन देश में अग्निकांड से जुड़ा यह पहला मामला नहीं है. अगर आप देश में अग्निकांड से होने वाली मौतों के आंकड़ों को उठकर देखेंगे, तो शायद आपके लिए इसपर यकीन करना मुश्किल हो जाए. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन देश में हर दिन आग की चपेट में आने से 35 लोगों की मौत हो रही है. इस लिस्ट में राजधानी में आग से मौतों का सिलसिला बीते समय में बहुत तेजी से बढ़ा है. शुरुआत करते हैं साल 2019 के आकड़ों से, इस साल देश ने अग्निकांड में 10,915 जानों को खो दिया, यानी हर दिन करीब 35 लोगों का जीवन आग में स्वाहा हो रहा है. इसके बाद के आंकड़ों पर नजर डालें, तो देश में आग से मौत के आंकड़ों में कमी जरूर आई है, लेकिन देश की राजधानी में मामला उल्टा है. यहाँ अग्निकांड से मौत की दर में तेजी से इजाफा हुआ है. अगर साल 2015 से लेकर 2019 में यानी लगभग 5 सालों के भीतर अग्निकांड से मौत के आंकड़ों पर नजर डाली जाए, तो देश में इस दौरान 71,422 लोगों की जान इन हादसों में हुई. हालांकि बीते कुछ सालों में इसमें कमी आई है. साल 2015 में अग्निकांड से हर दिन होने वाली मौत का आंकड़ा 45 था, जो कि साल 2019 तक आते-आते 35 पहुंच गया है. देश की राजधानी में ये आकंडे एकदम उलट हैं, जहां देश में बीते कुछ सालों में अग्निकांड से मौत के मामलों में कमी आई है, वहीं दिल्ली में हर साल इसमें बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. दिल्ली में साल 2015 में जहां 114 मौतें हुई थी, वहीं 2019 में ये आकंड़ा बढ़कप 150 पहुंच गया है. देश में अग्निकांड से होने वाली मौतों की संख्या में 60 फीसदी मामले सिर्फ पांच राज्यों से सामने आए हैं. यानी देश में हर दिन अग्निकांड से हो रही 35 लोगों की मौत में 21 मौतें सिर्फ इन पांच राज्यों में हुई है. इस लिस्ट में महाराष्ट्र टॉप पर है, जहां बीते 5 सालों में 12,028 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है मध्य प्रदेश, जहां 5 सालों में 9,758 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद 7,114 लोगों की मौत के साथ गुजरात तीसरे नंबर पर, फिर 5,036 लोगों की मौत के आंकड़ों के साथ कर्नाटक चौथे नंबर पर है. अग्निकांड से मौत के मामले में उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर है, जहां बीते 5 सालों में 5,036 लोगों की मौत हुई है. बात करें कि देश में लगातार हो रहे इन अग्निकांडों के पीछे क्या कारण हैं, तो सबसे पहला नाम आता है उद्योग धंधों का. जहां आग लगने का सबसे बड़ा कारण फायर सेफ्टी गाइडलाइन्स का पालन न किया जाना है. अधिकतर उद्योगों में जब भी अग्निकांड का मामला सामने आया है, तो इसके पीछे एक बड़ा कारण लूज वायरिंग रहा है और शार्ट-सर्किट के कारण आग लगी है. इस पर FICCI द्वारा करवाए गए एक सर्वे (India Risk Survey 2018) की रिपोर्ट पर नजर डालें, तो पता चलता है देश के औसतन उद्योग, आग से होने वाले हादसों को अपने उद्योग के लिए तीसरा सबसे बड़ा खतरा मानते हैं. वहीं मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की बात की जाए तो उनकी नजर में आग का खतरा उनके बिजनेस के लिए सबसे बड़ा है. अब सवाल ये उठता है कि सरकारें इस तरह के हादसों से निपटने के लिए क्या कदम उठा रही हैं. उद्योग कंपनियां फायर सेफ्टी की गाइडलाइन्स का सही से पालन कर रही हैं या नहीं, इसपर किस तरह की कार्यवाही हो रही है. अग्निकांड से मौत का सिलसिला जारी है और साथ ही ये सवाल भी बरकरार हैं.

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