जानें, दुनिया के पहले सर्जन और महर्षि सुश्रुत के गुरु नरेश दिवोदास के बारे में

सुश्रुत बाल्यकाल में ही काशी नरेश दिवोदास के पास पहुंच गए थे. दिवोदास पहली नजर में ही ये जान गए कि सुश्रुत कोई आम बालक नहीं बल्कि विलक्षण आत्मज्ञानी है. इसलिए चिकित्सकों के देवता धन्वंतरि के अवतार माने जाने वाले दिवोदास ने पूरे मनोयोग से सुश्रुत को शिक्षा देनी शुरू कर दी. सुश्रुत सूत्र रूप में चीजों को अपने गुरु से सुनते थे और उसका विस्तार उनके मस्तिष्क में खुद ब खुद हो जाता था. देखना ना भूलें ज़ी हिन्दुस्तान की खास पेशकश 'मैं भारत हूं' शनिवार और रविवार रात 9:25 बजे...

सुश्रुत बाल्यकाल में ही काशी नरेश दिवोदास के पास पहुंच गए थे. दिवोदास पहली नजर में ही ये जान गए कि सुश्रुत कोई आम बालक नहीं बल्कि विलक्षण आत्मज्ञानी है. इसलिए चिकित्सकों के देवता धन्वंतरि के अवतार माने जाने वाले दिवोदास ने पूरे मनोयोग से सुश्रुत को शिक्षा देनी शुरू कर दी. सुश्रुत सूत्र रूप में चीजों को अपने गुरु से सुनते थे और उसका विस्तार उनके मस्तिष्क में खुद ब खुद हो जाता था. देखना ना भूलें ज़ी हिन्दुस्तान की खास पेशकश 'मैं भारत हूं' शनिवार और रविवार रात 9:25 बजे...

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