करोड़ों लोगों ने कैसे लगाया मौनी अमावस्या के अद्भुत संगम में डूबकी ?

सबका एक ही लक्ष्य हैं. संगम की ज़मीन पर कुंभ के इस पर्व में पवित्रता की उस अवस्था को छू लेना जहां इंसानों की गलतियों की अवधारणा गल जाती है. मिलती है ईश्वर की अनुकंपा. अलग-अलग चेहरे मिल कर एक हुजूम बन जाते हैं इस कुंभ में. जब मौनी अमावस्या दस्तक देती है तो ऐसा लगाता है कि संगम छोटा पड़ गया हो. त्रिवेणी के तट पर उमड़ी भीड़ ऐसी दिखती है जैसे मानो सारे नहाने नहीं, देवताओं की अगुवानी के लिए आए हो.

सबका एक ही लक्ष्य हैं. संगम की ज़मीन पर कुंभ के इस पर्व में पवित्रता की उस अवस्था को छू लेना जहां इंसानों की गलतियों की अवधारणा गल जाती है. मिलती है ईश्वर की अनुकंपा. अलग-अलग चेहरे मिल कर एक हुजूम बन जाते हैं इस कुंभ में. जब मौनी अमावस्या दस्तक देती है तो ऐसा लगाता है कि संगम छोटा पड़ गया हो. त्रिवेणी के तट पर उमड़ी भीड़ ऐसी दिखती है जैसे मानो सारे नहाने नहीं, देवताओं की अगुवानी के लिए आए हो.

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