चुनावी भाषणों में भाषा का गिरता हुआ स्तर

राजनीति के रण में शब्दों की मर्यादा जैसे पीछे छूट गई है. और नेताओं के बीच गालियां देने की होड़ मची है. मुकाबला जैसे इस बात का है कि कौन अपने विरोधियों को कितना नीचा दिखाता है. कौन शब्दों की मर्यादा को कितना ज्यादा लांघता है...

राजनीति के रण में शब्दों की मर्यादा जैसे पीछे छूट गई है. और नेताओं के बीच गालियां देने की होड़ मची है. मुकाबला जैसे इस बात का है कि कौन अपने विरोधियों को कितना नीचा दिखाता है. कौन शब्दों की मर्यादा को कितना ज्यादा लांघता है...

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