नई दिल्ली: आतंक का वो आका जिसके नाम से ही अच्छे-अच्छे लोग खौफ खाते हैं. अबु बकर अल बगदादी की खौफनाक करतूत के बारे में जानकर ही हर किसी के होश फाख्ता हो जाते हैं. अमेरिका कई सालों से बगदादी की तलाश कर रहा था. लेकिन वो हर बार दुनिया को चकमा देता रहा था. जिस इस्लामिक स्टेट आतंकी संगठन को दुनिया बगदादी के नाम से जानती है. आखिर वो IS कहां से आया? किसने इसको जन्म दिया? इसकी कहानी भी उतनी ही खौफनाक है.
कौन था बगदादी?
- अबु बकर अल बगदादी का जन्म 29 जुलाई 1971 को इराक के सामर्रा में हुआ था
- बगदाद के इस्लामी विज्ञान विश्वविद्यालय से उसने इस्लामी विज्ञान में मास्टर डिग्री और पीएचडी किया
- 04 अक्टूबर, 2011 को उसे अमेरिका ने ब्लैक लिस्ट में डाल दिया और एक करोड़ डॉलर का इनाम घोषित किया
- 16 दिसंबर 2016 को बगदादी पर ईनामी राशि बढ़ाकर ढाई करोड़ अमेरिकी डॉलर कर दी गई
- बगदादी ने साल 2003 में अमेरिकी आक्रमण के दौरान अमेरिकी फौज के खिलाफ लड़ा
- आतंकी अबु बकर अल बगदादी साल 2005 से 2009 तक जेल में रहा
- साल 2010 में बगदादी अलकायदा का कमांडर बन गया
- वर्ष 2014 में आतंक के आका बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित कर दिया
बगदादी ने पैर फैलाना शुरू किया
साल 2011 में एक लंबी लड़ाई के बाद अमेरिका ईराक को सद्दाम हुसैन के चंगुल से आजाद करा चुका था, लेकिन इस आजादी को हासिल करने में ईराक पूरी तरह से बर्बाद हो चुका था. और उसी बर्बाद ईराक से 2011 में अमेरिका ने अपनी सारी सेना वापस बुला ली. अमेरिकी सेना के ईराक छोड़ते ही बहुत से छोटे-मोटे आतंकी गुट ने अपनी ताकत की लड़ाई शुरु कर दी. उन्हीं में से एक गुट का नेता अबु बकर अल बगदादी था. बगदादी उस वक्त 'अलकायदा ईराक' का चीफ हुआ करता था. विदेशियों के ईराक छोड़ते ही बगदादी ने अपनी जड़ें नए सिरे से जमाने का फैसला किया.
पहले ISI और फिर ISIS
साल 2011 में जब अमेरिकी सेना ईराक से लौटी थी, तब तक वो ईराक की सरकार को पूरी तरह से बर्बाद कर चुकी थी. सद्दाम के मारे जाने के बाद अमेरिका ईराक में सत्ता खाली छोड़ गई. तब तक बगदादी ने 'अलकायदा ईराक' का नाम बदलकर नया नाम इंटरनेशनल इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक (ISI) रख लिया था. बगदादी ने सद्दाम के कमांडर और सिपाहियों को अपने साथ मिला लिया. और फिर आतंक और दहशत का खूनी खेल शुरु हो गया. ईराक में बगदादी के साथ हजारों लोग शामिल हो चुके थे. लेकिन, शुरुआती दौर में उसे उतनी कामयाबी नहीं मिली. इसके बाद ईराक से मायूस होकर बगदादी ने सीरिया का रुख करने का फैसला किया. सीरिया तब गृह युद्ध झेल रहा था, पहले कुछ तक बगदादी को सीरिया में भी कोई खास कामयाबी नहीं मिली. इस दौरान उसने एक बार फिर से संगठन का नाम बदलकर इंटरनेशनल इस्लामिक स्टेट ऑफ सीरिया (ISIS) कर लिया था.
ISIS का 'मास्टर प्लान'
जून 2013 फ्री सीरियन आर्मी के जनरल ने पहली बार सामने आकर दुनिया से अपील की थी, कि अगर उन्हें हथियार नहीं मिले तो बागियों से जंग एक महीने के अंदर हार जाएंगे. इसके बाद दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका के अलावा इजरायल, सऊदी अरब समेत 6 देशों ने फ्री आर्मी को हथियार, पैसे और ट्रेनिंग की मदद पहुंचानी शुरु कर दी. यहीं से ISIS के दिन बदल गए. दरअसल, जो हथियार फ्री सीरियन आर्मी के लिए थे वो साल भर के अंदर ही ISIS के पास पहुंच गए. क्योंकि, तब तक ISIS फ्री सीरियन आर्मी में सेंध लगा चुका था. इसके साथ ही सीरिया में फ्रीडम फाइटर का नकाब पहनकर भी उसने दुनिया को धोखा दिया. इसके आड़ में खुद अमेरिका ने अनजाने में ISIS आतंकियों को ट्रेनिंग दे दी. बगदादी ने हथियारों का जखीरा और खूंखार ट्रेनिंग लेने के बाद 15000 लड़ाकों की आतंकी फौज तैयार कर ली.
मोसूल में बरपाया कहर
इराक का वह शहर जिसे बगदादी ने अपनी राजधानी के तौर पर इस्तेमाल किया. इस शहर का नाम मोसुल है. बगदादी पहली बार दुनिया के सामने इसी शहर से आया. उसने 2014 में मोसुल की मस्जिद से अपनी खिलाफत की घोषणा की. इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने इस शहर में जमकर कहर बरपाया. साल 2014 में ISIS की वो तस्वीर दुनिया के सामने आई जिसे देखकर हर कोई दहल उठा. आतंकियों ने यहां खून की नदियां बहा दी.
बगदादी की काली करतूतों की फहरिस्त
इस्लामिक स्टेट ने अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए कत्लेआम मचा दिया. हर किसी को एक लाइन से गोलियों से भूनना शुरू कर दिया. सबसे पहले जॉर्डन, इजरायल, फिलिस्तीन, लेबनान, कुवैत, साइप्रस तथा दक्षिणी तुर्की के हिस्सों पर अपना प्रभाव कायम किया. बगदादी ने ऐसा खूनी खेल शुरु किया जिसने भी उसके बारे में सुना वो सहम उठा. सबसे पहले बगदादी ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए मौत के नए-नए तरीके इजात किए. और उन्हें वीडियो के जरिए दुनिया को दिखाया. एक वीडियो में तो बगदादी की ब्रिगेड ने 6 जासूसों को मौत के घाट उतार दिया था. इसके बाद ISIS के आतंकियों ने अमेरिकी पत्रकार का भी सिर कलम कर दुनिया के सामने अपनी कायराना करतूत को अंजाम दिया.
बगदादी इतना ताकतवर कैसे होता चला गया इस पर लगातार सवाल खड़े हो रहे थे. रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने तो टर्की में जी-20 देशों के समिट में यहां तक कह दिया कि जी-20 के कुछ सदस्य देश तक ISIS की फंडिंग कर रहे हैं. ईराक और सीरिया के जिन शहरों पर बगदादी का कब्जा था. वहां कच्चे तेल के कुएं है. जिससे ISIS की ताकत और बढ़ती चली गई.
बगदादी जितना बेरहम, खतरनाक और दरिंदा आतंकवादी दुनिया ने अब तक कभी नहीं देखा था. लेकिन, कहते हैं कि जब गीदड़ की मौत आती है तो वो जंगल की तरफ भागता है. जिस आतंक के आका ने हजारों-लाखों बेगुनाहों की कब्र पर अपना साम्राज्य खड़ा किया. उसकी करतूतों का अब The End हो चुका है. उसे कुत्ते की मौत मार दिया गया.