अफगानिस्तानी फोर्स ने जैश और तालिबान का ना'पाक' प्लान किया फेल

हेलमंड में जैश और तालिबान के हमले को किया अफगानिस्तानी फोर्स ने किया नाकाम, जिससे तालिबान को भारी नुकसान हुआ है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 15, 2020, 08:02 PM IST
  • ISI की बड़ी साजिश हुई नाकाम
  • अफगानिस्तानी फोर्स ने दिया झटका
  • तालिबान को हुआ भारी नुकसान
अफगानिस्तानी फोर्स ने जैश और तालिबान का ना'पाक' प्लान किया फेल

नई दिल्ली: अफगानिस्तानी फोर्सज ने अफगानिस्तान के लश्करगढ़ शहर पर तालिबान की कब्जे की साजिश को धराशायी कर दिया है. मतलब ये कि तालिबान की खौफनाक साजिश नाकाम कर दी गई है. इस्लामिक आतंकवाद का एक धड़ा माने जाने वाले तालिबान के लिए ये भारी नुकसान है.

तालिबान के साथ जैश के आतंकी

जबसे दोहा में तालिबान और अमेरिका के बीच शांति समझौता हुआ है, उसके बाद से ऐसा पहली बार हुआ कि जब तालिबान ने अफगानिस्तान के हेलमंड में इतना बड़ा हमला किया हो. लश्करगढ़ में तालिबानी हमलावरों के साथ जैश के सैकड़ों आतंकी भी देखे गये हैं जो तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले कर रहे हैं.

Zee मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक हेलमंड में हमले करने से पहले तालिबान की मदद के लिए पाकिस्तान से जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी इकट्ठे हुए थे. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई जैश के आतंकियों को तालिबान के टेरर कैंपों में ट्रेनिंग दिला रही है, जिनमें से तैयार आतंकियों को अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों पर हमले कराने के साथ साथ कश्मीर में शिफ्ट किया जा रहा है. जिससे भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले कराये जा सके.

जब हुआ तालिबानी ठिकानों पर हमला

तालिबान के खिलाफ ऑपरेशन में लगी अफगानिस्तानी सुरक्षा बलों की मदद के लिए अमेरिका ने भी हेलमंड में कुछ तालिबानी ठिकानों पर हमले किये थे. अमेरिका ने इन हमलों के बाद दिये बयान में तालिबान से तुरंत इन हमलों पर रोक लगाने की मांग की थी.

तालिबान = इस्लामिक आतंकवाद!

तालिबान एक सुन्नी इस्लामिक आधारवादी आन्दोलन है, जो इस्लामिक आतंकवाद का एक धड़ा है. इसकी शुरूआत साल 1994 में दक्षिणी अफगानिस्तान में हुई थी. तालिबान पश्तो भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ज्ञानार्थी (छात्र). ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरपंथ की विचारधारा पर यकीन करते हैं. इस्लामिक कट्टपंथी से उभरने वाले आतंकवाद को ही तालिबान कहा जाता है. इसकी सदस्यता पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलती है.

तालिबान आंदोलन को सिर्फ पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने ही मान्यता दे रखी थी. अफगानिस्तान को पाषाणयुग में पहुंचाने के लिए तालिबान को जिम्मेदार माना जाता है.

जैश का हाथ, तालिबान के साथ

जानकारी ये सामने आई है कि आईएसआई जैश के आतंकियों को तालिबान के टेरर कैंपों में ट्रेनिंग दिला रही है. लेकिन यहां आपका ये जानना जरूरी है कि जैश है क्या चीज.. जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान स्थित एक जिहादी इस्लामी उग्रवादी संगठन है, जिसका मंसूबा भारत से कश्मीर को अलग करना है. इसकी स्थापना मसूद अज़हर नाम के आतंकवादी ने मार्च 2000 में की थी. भारत में हुए कई आतंकवादी हमले के बाद इसे जनवरी 2002 में इसे पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रतिबंधित कर दिया. हालांकि आज भी पाकिस्तान में जैश के आतंकवादियों ने पनाह ले रखा है. ये आतंकवादी संगठन भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है.

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