अफगानिस्तानः धमाकों के बीच गनी ने ली शपथ, रुके नहीं, बोले-हम डरने वाले नहीं

राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि हम धमाकों से डरने वाले नहीं हैं. अगर अफगानिस्तान को मेरे बलिदान की जरूरत है तो मैं खुद का बलिदान देने के लिए तैयार हूं. वहीं धमाकों के बाद अफगानिस्तान की प्रथम महिला और रूला गनी भी अपनी जगह से उठीं और लोगों की ओर हाथ उठाकर उनका हौसला बढ़ाया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 9, 2020, 07:43 PM IST
अफगानिस्तानः धमाकों के बीच गनी ने ली शपथ, रुके नहीं, बोले-हम डरने वाले नहीं

नई दिल्लीः US और तालिबान समझौता खटाई में पड़ने के बाद वहां एक बार गोलियों के तड़तड़ाने और धमाके का सिलसिला आम हो गया. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में उस समय बड़ा धमाका हुआ जब अशरफ गनी लगातार दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ले रहे थे.

शपथ समारोह से कुछ ही दूरी पर लगातार कई धमाकों और गोलियों की आवाजें सुनाईं दी. धमाके के बाद शपथ समारोह में हड़कंप मच गया, राष्ट्रपति गनी के अंगरक्षकों ने उन्हें तुरंत घेर लिया. हालांकि, गनी ने ऐसे वक्त में भी बोलना जारी रखा. 

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गनी दूसरी बार बने हैं राष्ट्रपति
राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा कि हम धमाकों से डरने वाले नहीं हैं. अगर अफगानिस्तान को मेरे बलिदान की जरूरत है तो मैं खुद का बलिदान देने के लिए तैयार हूं. वहीं धमाकों के बाद अफगानिस्तान की प्रथम महिला और रूला गनी भी अपनी जगह से उठीं और लोगों की ओर हाथ उठाकर उनका हौसला बढ़ाया.

अशरफ गनी के प्रतिद्वंद्वी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी खुद को राष्ट्रपति घोषित किया है. राष्ट्रपति पद पर दोनों दावेदारों के आमने-सामने आने के बाद तालिबान के साथ वार्ता की योजना के खतरे में पड़ने की आशंका पैदा हो गई है. अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर करीब दो सप्ताह पहले हस्ताक्षर किए गए थे.

रविवार को ही शुरू हो गया था विवाद
इस विवाद की शुरुआत रविवार से ही हो गई थी. सोमवार सुबह काबुल के राष्ट्रपति भवन में अशरफ गनी का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होना था. इसी बीच, अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी शपथ लेने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को निमंत्रण भी भेजे थे. विवाद होने पर जालम खलीलजाद ने दोनों पक्षों से बातचीत कर विवाद समाप्त करने की कोशिश की.

इसके चलते सोमवार सुबह शपथ ग्रहण कार्यक्रम टाल दिया गया था. दोपहर बाद तक जब कोई हल नहीं निकला तो अशरफ गनी ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली. इसके तुरंत बाद ही अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया. 

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अब्दुल्ला ने भी खुद को राष्ट्रपति घोषित किया
पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में शीर्ष दो उम्मीदवारों के बीच विवाद है कि वास्तव में जीत किसने हासिल की. जब अमेरिका और तालिबान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए तो वादा किया गया था कि अफगान लोग अपने देश के भविष्य के लिए एक रोड मैप तैयार करने के लिए आपस में बातचीत करेंगे.

अमेरिका का कहना है कि अफगानिस्तान से उसकी सेना की वापसी तालिबान के आतंकवाद विरोधी वादों से जुड़ा है न कि तालिबान और अफगान सरकार के बीच बातचीत की सफलता से.

तालिबान से 10 मार्च को है शांति वार्ता
नए राजनीतिक संकट से अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता है. अफगान सरकार की 10 मार्च को नार्वे में तालिबान के साथ शांति वार्ता होनी है. ऐसे में अगर समाधान नहीं निकला तो वार्ता में मुश्किल आ सकती है. तालिबान ने कहा है कि दो सरकारों से वार्ता होना संभव नहीं है, जिसकी वजह से हालात सामान्य नहीं हो पाएंगे. 

राष्ट्रपति पद के लिए सितंबर 2019 में चुनाव हुए
अफगानिस्तान में 28 सितंबर 2019 को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे. अब्दुल्ला ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाया था. दोबारा वोटों की गिनती के बाद पांच महीने बाद 18 फरवरी को परिणाम जारी किए गए थे. 50.64% वोटों के साथ अशरफ गनी की जीत हुई थी, लेकिन अब्दुल्ला ने इसे मानने से इनकार कर दिया था.

 

 

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